सड़कों पर टोल से अधिक पैसा वसूली का मामला सामने आया है। यह वसूली तय नियमों का उल्लंघन करके की गई है और जनता से टोल कंपनियों ने 132 करोड़ रुपए से अधिक की वसूली की है। भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण की दक्षिण भारत में टोल परिचालन पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) के प्रतिवेदन में ये गड़बड़ियां सामने आई है। यह रिपोर्ट हाल ही में संसद के पटल पर पेश की गई है।
रिपोर्ट बताती है कि दक्षिण भारत के प्रमुख टोल पर मौजूदा चार लेन के राजमार्ग के सुधार कार्य की वजह से विलंबित समय सीमा में टोल नहीं लिए जाने आदेश जारी किया गया था। इसके बाद भी तीन टोल प्लाजा (नाथावालासा, चलगेरी, हेब्बालू) पर भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआइ) ने आम जनता से टोल की वसूली की है।
इस कारण मई 2020 से मार्च 2021 तक 124.18 करोड़ रुपए का शुल्क टोल प्लाजा का उपयोग करने वाले वाहन चालकों से वसूला गया। जबकि एनएचएआइ ने परनूर टोल प्लाजा के मामले में लागू शुल्क के 75 फीसद तक उपयोगकर्ता शुल्क को कम करने में विलंब किया और मदपम टोल प्लाजा पर शुल्क संशोधन नहीं किए जाने की शर्त के बाद भी संशोधन किया।
इस कारण से इन दो टोल प्लाजा पर कुल 7.87 करोड़ रुपए का अधिक शुल्क संग्रहण किया गया। रिपोर्ट के मुताबिक इस प्रकार सभी पांच टोल से संबंधित एजंसी ने कुल 132.05 करोड़ का अनुचित भार लगाया।रिपोर्ट में बताया गया है कि सीएजी ने दक्षिण भारत के पांच राज्य तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, और केरल में 37 राजमार्ग से संबंधित इन पांच टोल प्लाजा का चयन किया था।
पूरे भारत में 1.36 लाख किलोमीटर (मार्च 2021) राजमार्ग के 0.27 लाख किलोमीटर मार्ग दक्षिण भारत के राज्यों में है। दक्षिण राज्यों ने वर्ष 2017-18 से 2020-21 तक एनएचएआइ ओर उसके रियायत ग्राहियों के मध्यम से कुल 28523.88 करोड़ (28.75 फीसद) टोल का अंशदान था।
राष्ट्रीय राजमार्ग संशोधन नियम 2011 के मुताबिक केंद्र सरकार ने प्रमुख मार्ग पर टोल शुल्क से आम जनता को राहत दी थी। यह राहत 1956 के बाद बने पुलों के लिए थी। सीएजी की जांच रिपोर्ट बताती है कि परनूर टोल प्लाजा जो कि वर्ष 1954 में बनाया गया था। बावजूद इसके वाहन चालकों से शुल्क की वसूली की गई जबकि तय प्रावधान शुल्क वसूलने की मंजूरी नहीं देते थे। वर्ष 2017 – 2018 से 2020 – 2021 तक उपयोगकर्ताओं से 22.10 करोड़ का अतिरिक्त टोल शुल्क वसूला गया।