Amir Khan Muttaqi News: अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने सोमवार को कहा कि देश छोड़कर गए अफगान सिखो और हिंदुओं का वापस लौटने और अपना कारोबार फिर से शुरू करने पर स्वागत है। दोनों समुदायों के एक डेलीगेशन ने दिल्ली में उनके मुलाकात की। इस डेलीगेशन में 13 अफगान सिख और हिंदू शामिल है।

यह पिछले कई दशकों में अफगानिस्तान से बाहर चले गए थे और इस समय दिल्ली और दुनिया के अन्य हिस्सों में रह रहे हैं। उन्होंने दिल्ली में अफगान दूतावास में मुत्ताकी से मुलाकात की। वर्तमान समय में गुरुद्वारों और मंदिरों की देखभाल के लिए कुल मिलाकर 50 से भी कम अफगान सिख और हिंदू अफगानिस्तान में रह रहे हैं।

डेलीगेशन ने उठाई ये मांगें

अफगानिस्तान के मंत्री से मुलाकात में डेलीगेशन ने कई सारी मांगे उठाई हैं। इनमें उनके धार्मिक स्थलों की सुरक्षा, उनकी मरम्मत और रखरखाव के लिए पैसे, अतिक्रमणकारियों से उनकी संपत्तियों को मुक्त कराना और भारत-अफगानिस्तान मल्टीपल एंट्री और एग्जिट वीजा की मांग भी शामिल है। हालांकि, डेलीगेशन का नेतृत्व करने वाले अफगान माइनॉरिटी काउंसिल के सदस्य गुलजीत सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि, “अब वापसी का कोई मतलब नहीं है।”

गुलजीत ने कहा, “बैठक के दौरान, अफगान मंत्री ने कहा कि सिखों और हिंदुओं का लौटने और हमारे पीछे छूटे हुए कारोबार को जारी रखने के लिए हार्दिक स्वागत है, लेकिन अब लौटने का कोई मतलब नहीं है। तालिबान के शासन में अफगानिस्तान में सिखों और हिंदुओं की सुरक्षा एक बड़ी चिंता का विषय है। हम बस अपने धार्मिक स्थलों (गुरुद्वारों और मंदिरों) की सुरक्षा और रखरखाव चाहते हैं।”

गुलजीत ने यह भी दावा किया कि अफगानिस्तान में इस्लाम ना मानने वालों को काफिर माना जाता है। उन्होंने कहा, “हमारी औरतें घर से बाहर नहीं निकल सकतीं और उनकी जिंदगी नर्क से कम नहीं है। इसलिए, वापसी की बातें बेमानी और अव्यावहारिक हैं।” गुलजीत ने बताया कि हमारी मांगों में 30 लोगों के लिए मल्टीपल एंट्री और एग्जिट वीजा शामिल है, ताकि वे अफगानिस्तान जाकर धार्मिक स्थलों की देखभाल कर सकें और अपने परिवारों से मिलने के लिए भारत लौट सकें।

अलग-अलग देशों में रह रहे समुदाय के लोग

उन्होंने पूछा, “मुद्दा यह है कि अफगान सिख और हिंदू काबुल और अन्य शहरों में फलते-फूलते व्यवसाय चला रहे थे, लेकिन उन्हें भागने पर मजबूर होना पड़ा। अब, हमारे समुदाय के 90 प्रतिशत से ज्यादा लोग कनाडा, भारत, ब्रिटेन, जर्मनी जैसे अन्य देशों में बस गए हैं। तो कोई अफगानिस्तान क्यों लौटेगा जहां हमारे जीवन की कोई गारंटी नहीं है।”

इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि मांगों में गुरुद्वारों और मंदिरों की मरम्मत और रखरखाव भी शामिल था। अफगान हिंदू सिख वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष हरभजन सिंह ने कहा कि मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान आपका अपना देश, आपका घर है और आप कभी भी वापस आ सकते हैं और पीछे छूटे व्यवसायों और दुकानों को फिर से शुरू कर सकते हैं।

जान है तो जहान है- हरभजन सिंह

हरभजन सिंह ने कहा, “पर जान है तो जहान है। अगर हम वहां मारे गए तो हमारे परिवार क्या करेंगे?” उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान लौटना नामुमकिन है और उन्होंने सिर्फ गुरुद्वारों और मंदिरों की सुरक्षा की मांग की है। उन्होंने कहा, “इस समय अफगानिस्तान में कुल मिलाकर केवल लगभग 50 सिख और हिंदू रह रहे हैं और वह भी सिर्फ यह सुनिश्चित करने के लिए कि हमारे धर्मस्थल और संपत्ति सुरक्षित रहें।” हरभजन ने आगे बताया कि समुदाय के लगभग 15 सदस्य काबुल में 10-12 जलालाबाद में और कुछ अन्य गजनी में हैं।

हरभजन ने बताया, “काबुल में इस समय केवल दो गुरुद्वारे हैं। काबुल में केवल असमाई मंदिर है। चूंकि देश में कोई संगत नहीं बची है, इसलिए अन्य बंद पड़े हैं।” उन्होंने कहा, “हर कोई उस देश से प्यार करता है, जहां वह पैदा हुआ है।” उन्होंने आगे कहा, “हम आगे बढ़ चुके हैं और दूसरे देशों में अपनी जिंदगी फिर से शुरू कर चुके हैं।”

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अपने कारोबार को छोड़कर भागना आसान नहीं होता- हरभजन

हरभजन ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “अपने फलते-फूलते कारोबार को छोड़कर घर से भागना आसान नहीं होता। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार आने के बाद से अब अफगान सिख और हिंदू शरणार्थियों को भारत में आसानी से नागरिकता मिल रही है। तो हम वापस क्यों लौटेंगे? हम तो बस यह देखने जाएंगे कि हमारे धर्मस्थल और संपत्तियां सुरक्षित हैं या नहीं। पिछले कुछ महीनों में, तालिबान ने अफगानिस्तान में हमारी कई संपत्तियों को अतिक्रमणकारियों से मुक्त कराने में हमारी मदद की है। मंत्री ने आश्वासन दिया है कि वे भविष्य में भी ध्यान रखेंगे।”

डेलीगेशन में शामिल एक और सदस्य प्रताप सिंह ने कहा, “हमने अफगानिस्तान में बंद पड़े गुरुद्वारों और मंदिरों को फिर से खोलने के लिए सुरक्षा की भी मांग की है और हम चाहते हैं कि हमारी गैरमौजूदगी में भी वहां रोजाना प्राथनाएं हों।” प्रताप ने कहा, “मंत्री ने आज कहा ‘आपका देश है, वापस आओ आप’ लेकिन हम आगे बढ़ गए हैं।”

2021 में हालात और भी बदतर हो गए

अफगानिस्तान से अफगान सिखों और हिंदुओं का सामूहिक पलायन 1992 में सोवियत समर्थित सरकार के पतन के बाद मुजाहिदीन के उदय के बाद शुरू हुआ। यह पलायन अल्पसंख्यकों को निशाना बनाकर की जाने वाली हिंसा, अपहरण, जबरन वसूली का नतीजा था। इसकी वजह से समुदाय की संख्या में गिरावट आई है। बाद के तालिबान शासन (1996 से 2001) और उसके बाद 2021 में स्थिति और भी बदतर हो गई। बचे हुए सिख और हिंदू भी मुस्लिम बहुल देश छोड़कर कनाडा, ब्रिटेन, भारत, स्वीडन और जर्मनी सहित कई देशों में बस गए हैं।

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