दिल्ली सहित देश के कई राज्यों में स्वाइन फ्लू तेजी से फैला है। एक हफ्ते में इससे 31 लोगों की मौत हुई है। देश में इस साल ‘एच1एन1’ वायरस से मरने वालों की संख्या बढ़ कर 226 हो गई है। वहीं, पीड़ित लोगों की संख्या 6,601 पहुंच गई है। सबसे ज्यादा मामले राजस्थान से हैं। वहां कुल मामलों के 34 फीसद मरीज सामने आए हैं। मरीजों की संख्या के लिहाज से दिल्ली दूसरे पायदान पर है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) के आंकड़ों के मुताबिक इस साल एक जनवरी से 13 जनवरी के बीच पूरे देश में 1694 मरीजों को इस रोग की पुष्टि हो चुकी थी। कई राज्यों में स्वास्थ्य को लेकर सतर्कता जारी की गई है। नए साल के पहले पखवाड़े में ही (13 जनवरी तक) देश भर में 49 लोगों की मौत हो चुकी है। जनवरी के पहले पखवाड़े में दिल्ली में मरीजों की संख्या 168 थी, जो 28 जनवरी तक 532 हो गई। दिल्ली स्वाइन फ्लू के मामलों में तब तक राजस्थान और गुजरात के बाद तीसरे नंबर पर थी। लेकिन एक हफ्ते में 479 नए मामले दर्ज होने के बाद तीन फरवरी तक कुल 1011 मामले सामने आए हैं जिसके साथ दिल्ली दूसरे स्थान पर पहुंच गई है। दिल्ली में अभी तक चार मौतें हुई हैं। सफदरजंग अस्पताल में तीन, राम मनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल में 10 और एम्स में एक मरीज की मौत हुई है। हालांकि, दिल्ली के ये आंकड़े केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों में दर्ज नहीं किए गए हैं।

एनसीडीसी के मुताबिक इस साल अभी तक दिल्ली में कोई मौत नहीं हुई है। दिल्ली के एम्स, राम मनोेहर लोहिया व सफदरजंग अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षकों ने कहा है कि इससे निपटने की पूरी तैयारी है। हमारे यहां इसके लिए खास तौर से अलग वार्ड बनाए गए हैं। उन्होंने बताया कि सर्दी जुकाम के लक्षणों के साथ आने वाले हर मरीज की जांच की जा रही है। एलएनजेपी, जीटीबी, डीडीयू सहित कई अस्पतालों ने ऐसे मरीजों के लिए बिस्तरों के इंतजाम कर रखे हैं।

दिल्ली में बीते साल में 205 मामले दर्ज किए गए थे और दो लोगों की मौत हुई थी। दिल्ली में सबसे ज्यादा मरीज सन 2015 में आए थे। तब यह आंकड़ा 4307 मरीजों का था। इसके बाद 2835 मामले 2017 में दर्ज किए गए थे। तब 16 मौतें हुई थीं। 2013 में दिल्ली में क रीब डेढ़ हजार मामले आए थे।
सोमवार को जारी मंत्रालय के ताजा आंकड़ों के मुताबिक तीन फरवरी तक कुल देश भर में 6,601 लोगों में इस रोग की पुष्टि हुई है, जिनमें से 2030 लोग सात दिनों में संक्रमित हुए हैं। देश में स्वाइन फ्लू मरीजों की संख्या इस साल अभी तक सबसे ज्यादा राजस्थान मेंं है।

तीन फरवरी तक राजस्थान में 85 मौतें और 2263 मामले दर्ज किए गए। 43 मौतों और 898 लोगों के इस वायरस की चपेट में आने के साथ गुजरात अब तीसरे नंबर पर है। वहीं, हरियाणा में दो मौतें और 490 मामले दर्ज किए गए हैं। आंकड़ों के मुताबिक पंजाब में स्वाइन फ्लू से सोमवार तक 30 मौतें हुईं और 250 मामले दर्ज किए गए। महाराष्ट्र में 138 मामले और 12 मौतें दर्ज की गई हैं। आंध्र प्रदेश में 69 मामले व चार मौतों की पुष्टि हो चुकी है।। कर्नाटक में करीब 269 लोगों में यह संक्रमण पाया गया।

हिमाचल प्रदेश में 14 लोग मौत के मुंह में समा गए। राज्य में दर्ज मामलों की संख्या 105 है। मध्य प्रदेश में 11 लोग मरे हैं और संक्रमण से पीड़ितों की संख्या 57 हो गई है। उत्तर प्रदेश में 270 लोग चपेट में आ चुके हैं जिनमें से चार की मौत हो गई है। जम्मू-कश्मीर में 170 मामले आए जिनमें से 11 लोगों को बचाया नहीं जा सका। उत्तराखंड में 18 मामले व तीन मौतें दर्ज की गईं। केरल में 111 मरीजों के आने के साथ ही तीन मौतें हुई हैं। तेलंगाना में 331 में से दो मरीजों की मौत हुई है। तमिलनाडु में 94 मरीजों में से एक की मौत हुई है। असम में दो मामले व एक मरीज की मौत हुई है। गौरतलब है कि पिछले साल देश में स्वाइन फ्लू के 14,992 मामले दर्ज किए गए थे और इस रोग से 1103 लोगों की मौत हुई थी।

क्या कहता है स्वास्थ्य मंत्रालय
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों से निगरानी बढ़ाने और अस्पतालों में बिस्तरों की व्यवस्था रखने को कहा है। राज्यों ने फिलहाल दवाओं और जांच किट की कोई मांग नहीं की है। इस बीच, दिल्ली के स्वास्थ्य विभाग का एक पैनल विभिन्न अस्पतालों में स्वाइन फ्लू से हुई मौतों की पड़ताल कर रहा है। दिल्ली सरकार ने एक परामर्श भी जारी किया है।

दिल्ली में परामर्श
स्वास्थ्य महानिदेशालय ने कहा है कि यह एक प्रकार का स्वंय-सीमित संक्रामक रोग है। यह श्वसन तंत्र से जुड़ी बीमारी है जो ए टाइप के एनफ्लुएंजा वायरस से होती है। ये हवा के जरिए या किसी के छूने से दूसरे व्यक्ति के शरीर में मुंह या नाक के जरिए प्रवेश कर जाते हैं। मसलन, संक्रमित व्यक्ति के छुए दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल के जरिए वायरस फैल सकता है।

लक्षण
आमतौर से बुखार व खांसी, गला खराब, नाक बहना या बंद होना, सांस लेने में तकलीफ व अन्य लक्षण जैसे बदन दर्द, सिर दर्द, थकान, ठिठुरन, दस्त, उल्टी, बलगम में खून आना इत्यादि भी हो सकते हैं। हल्के, मध्यम व गंभीर फ्लू के लक्षण भी अलग-अलग होते हैं। इनका प्रबंधन भी अलग।

हल्के स्तर के स्वाइन फ्लू के लक्षण
बुखार, खांसी, सर्दी, शरीर में दर्द होना व थकान महसूस होना। माइल्ड स्वाइन फ्लू का इलाज लक्षणों पर आधारित होता है। ऐसे लक्षणों में टेमीफ्लू दवा लेने की या जांच की जरूरत नहीं होती।

मध्यम स्वाइन फ्लू के लक्षण
इस श्रेणी के मरीजों में हल्के स्वाइन फ्लू के लक्षणों के अतिरिक्त तेज बुखार और गले में तेज दर्द होता है या मरीज में हल्के स्वाइन फ्लू के लक्षणों के साथ निम्नलिखित उच्च जोखिम की स्थिति है तो रोगी को स्वाइन फ्लू की दवा टेमीफ्लू दी जाती है।

गंभीर स्वाइन फ्लू के लक्षण
इस श्रेणी के लोगों में स्वाइन फ्लू के सामान्य लक्षणों के अतिरिक्त गंभीर लक्षण भी पाए जाते हैं-ैं सांस लेने में दिक्कत, सीने में तेज दर्द, गफलत (भ्रम की अवस्था) में जाना, ब्लड प्रेशर कम होना, बलगम में खून आना, नाखून नीले पड़ जाना। इस श्रेणी से संबंधित सभी रोगियों को अस्पताल में भर्ती करना चाहिए। रोगी को स्वाइन फ्लू की दवा टेमीफ्लू दी जाती है और जांच भी आवश्यक है।

किन्हें है ज्यादा जोखिम
छोटे बच्चे, गर्भवती महिलाएं, 65 साल या उससे अधिक उम्र के व्यक्ति फेफड़े की बीमारी, दिल की बीमारी, गुर्दे की बीमारी, मधुमेह रोग, कैंसर इत्यादि से ग्रसित व्यक्ति।

क्या करें
खांसने और छींकने के दौरान अपनी नाक व मुंह को कपड़े अथवा रूमाल से अवश्य ढकें।
अपने हाथों को साबुन व पानी से नियमित धोएं।
भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचें ,फ्लू से संक्रमित हों तो घर पर ही आराम करें।
फ्लू से संक्रमित व्यक्ति से एक हाथ तक की दूरी बनाए रखें।
पर्याप्त नींद और आराम लें, पर्याप्त मात्रा में पानी या तरल पदार्थ पीएं और पोषक आहार लें।
फ्लू से संक्रमण का संदेह हो तो चिकित्सक से सलाह अवश्य लें।

क्या न करें
गंदे हाथों से आंख, नाक अथवा मुंह को छूना, किसी को मिलने के दौरान गले लगना, चूमना या हाथ मिलाना, सार्वजनिक स्थानों पर थूकना, बिना चिकित्सक के परामर्श के दवाएं लेना, इस्तेमाल किए हुए नेपकिन, टिशू पेपर इत्यादि खुले में फेंकना फ्लू वायरस से दूषित सतहों का स्पर्श (रेलिंग, दरवाज़े इत्यादि) और सार्वजनिक स्थलों पर धूम्रपान करना।