Swati Maliwal News: स्वाति मालीवाल मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के पीएम बिभव कुमार की जमानत याचिका पर आज दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने जमानत पर अपना ऑर्डर रिजर्व कर लिया है। आम आदमी पार्टी की राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल भी इस दौरान तीस हजारी कोर्ट पहुंचीं। बिभव कुमार के पक्ष में सीनियर एडवोकेट एन हरिहरन ने दलीलें रखीं। उन्होंने कहा कि यह जमानत याचिका विचार योग्य है।
इस मामले में IPC की धारा 308 के तहत FIR दर्ज की गई है। इस धारा के अंतर्गत आने वाले मामले ट्रायल कोर्ट में सुने जा सकते हैं। बिभव कुमार के वकील सीनियर एडवोकेट ने दलील दी कि स्वाति मालीवाल सीएम के आवास पर गई थीं और उन्होंने PA को बुलाया।
उन्होंने कहा कि पीएम बिभव कुमार (Bibhav Kumar) सीएम के आवास पर मौजूद नहीं थे, तब वो सीएम आवास की तरफ बढ़ गईं। उन्होंने दलील दी कि ‘क्या कोई भी इस तरीके से एंट्री कर सकता है, यह सीएम का आधिकारिक आवास है।’ एन हरिहरन ने अपनी दलीलों में ये भी कहा कि वहां घुसपैठ हुई और इसकी रिपोर्ट भी दर्ज करवाई गई। उनके पास मीटिंग का कोई अपॉइंटमेंट नहीं था, उनके आने का भी कोई मैसेज नहीं मिला था।
घटना के तीन दिन बाद लिखवाई गई FIR
रिपोर्ट को रेफर करते हुए उन्होंने कहा कि उन्हें सिक्योरिटी द्वारा रोका गया। उन्होंने सुरक्षाकर्मियों से सवाल किया कि क्या वो एक सांसद को वेट करवाएंगे। वो वेटिंग रूम में बैठ गईं और सिक्योरिटी से बिभव कुमार से बात करने के लिए कहा। सीनियर एडवोकेट ने अपनी दलीलों में कहा कि उन्होंने FIR में जो बातें कहीं हैं, वो सही नहीं है। यह FIR घटना के तुरंत बाद दर्ज शिकायत का नतीजा नहीं। यह तीन दिन बाद लिखवाई गई है।
उन्होंने अपनी दलीलों में यह भी कहा कि उस जगह को भी देखिए जहां यह घटना हुई, वहां बहुत सारे लोग मौजूद थे। ऐसी जगह पर ऐसी घटना कैसे हो सकती है। उस एरिया में कई अस्पताल मौजूद हैं लेकिन उन्हें मेडिकल टेस्ट के लिए AIIMS ले जाया गया। उन्होंने अपनी दलीलें रखते हुए कहा कि महत्वपूर्ण अंग पर कोई गंभीर चोट नहीं है तो गैर इरादतन हत्या का सवाल कहां है? उन्होंने यह भी तर्क दिया कि खुद को भी चोटें पहुंचाई जा सकती हैं। सीनियर एडवोकेट ने अपनी दलीलों में यह भी कहा कि आरोपों से निर्वस्त्र करने के इरादे का मामला नहीं बनता है।
इसी दौरान स्वाति मालीवाल कोर्ट रूम में भावुक हो गईं।
अपने तर्कों में बिभव कुमार के वकील सीनियर एडवोकेट एन हरिहरन ने कहा कि यह पूरी FIR पूरी तरह से विचार करने के बाद लिखवाई गई है। उन्होंने कहा, “मैं सिर्फ बेल मांग रहा हूं, न कि आरोपों से मुक्ति।” उन्होंने कहा कि CCTV पहले ही रिकवर किया जा चुका है, इसलिए उसकी टेंपरिंग का सवाल ही नहीं उठता। बिभव कुमार पुलिस जांच के लिए शुरू से उपलब्ध हैं। उन्होंने अपने तर्कों में कहा कि सब कुछ प्री-प्लान है और उनकी स्टोरी को सूट करने के लिए तैयार किया गया है।
अभियोजन पक्ष ने क्या दलीलें दीं?
एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अतुल श्रीवास्तव ने द्वारा दिए गए तर्कों ें कहा गया कि गैर इरादतन हत्या का मामला हत्या की श्रेणी में लाने के लिए इरादे की जरूरत नहीं है, ज्ञान ही पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि आरोपी ने उस महिला को पीटा, जो अकेली थी। उसे घसीटा और उसके सिर को सेंट्रल टेबल से दे मारा। क्या इससे मौत नहीं होगी? उन्होंने कहा कि अगर मैं एक महिला को खुले में थप्पड मारूं तो या यह एक महिला की गरिमा को ठेस पहुंचाना है।
एडिशनल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर अतुल श्रीवास्तव ने बिभव कुमार के वकील के इस आरोप का खंडन किया कि स्वाति मालीवाल बिभव कुमार को बदनाम करने के लिए सोचे-समझे मन से वहां गयी थी। उन्होंने कहा कि पार्टी प्रमुख उन्हें ‘लेडी सिंघम’ कहते थे। उन्होंने कहा कि आरोपी को उसके पद से बर्खास्त कर दिया गया है। उनके द्वारा दी गई दलीलों में कहा गया कि आरोपी ने शिकायकर्ता को यह नहीं बताया कि वो सर्विस पर नहीं हैं और सीएम के साथ उनकी मीटिंग अरेंज नहीं कर सकते हैं। यह आरोपी की मंशा जाहिर करता है। इससे पहले कभी भी उन्हें पहले से अपॉइंटमेंट नहीं लेना पड़ा है।
अपने तर्कों में अतुल श्रीवास्तव ने यह भी कहा कि क्यों सिक्योरिटी ऑफिसर ने पीसीआर को कॉल नहीं किया। उन्हें वेटिंग रूप में बैठने दिया गया। उन्होंने कहा कि यह निहित अनुमति थी, इसमें घुसपैठ का सवाल कहां है? जब बिभव कुमार वहां पहुंचा तो उसने सवाल किया कि स्वाति को किसने अंदर जाने दिया। उन्होंने कहा कि उस जगह मौजूद सभी लोगों की रिपोर्टिंग बिभव कुमार को थी। यह उसका रसूख दिखाता है। वो साक्ष्य के साथ छेड़खानी कर सकता है।
उन्होंने कहा कि आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 308 (गैर इरादतन हत्या) लगाई गई है। शिकायतकर्ता को एम्स ले जाया गया क्योंकि वह सीआर पार्क में रह रही थीं। FIR लिखवाने में देरी के सवाल पर उनकी तरफ से तर्क दिया गया कि शिकायतकर्ता द्वारा पुलिस को घटना की पूरी जानकारी नहीं दी गई थी, इसके बाद भी पुलिस ऑफिसर घटना वाली जगह पर गए। उन्होंने तर्क दिया कि भारत में महिलाएं यौन अपराधों की रिपोर्ट करने में बहुत झिझकती हैं। उन्होंने कहा कि सीसीटीवी फुटेज टेक्निकल कारणों से मिसिंग हो सकती है।
जब कोर्ट ने उनसे सवाल किया कि पुलिस क्यों आरोपी के फोन को देख रही है? तब उनकी तरफ से तर्क दिया गया कि आईफोन फॉर्मेट किए जाने के बाद पुलिस को दिया गया, यह टेंपरिंग है। APP ने कहा कि आरोपी ने मुंबई जाकर अपना फोन फॉर्मेट करवाया। हम आगे पुलिस कस्टडी की मांग कर सकते हैं। मैं बेल एप्लिकेशन का पुरजोर विरोध करता हूं।
स्वाति मालीवाल के वकील ने क्या तर्क दिए?
ANI द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, स्वाति मालीवाल के वकील एडवोकेट माधव खुराना ने कोर्ट को दलील दी कि उन्होंने कहा कि वो अंदर जा रही है, आप पुलिस बुला सकते हैं लेकिन पुलिस को नहीं बुलाया गया। MLC के अनुसार, चार दिन बाद भी चोटें थीं। यह हमले की तीव्रता दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि इन मामलों में तीन-चार दिन की देरी अप्रासंगिक है। एडवोकेट माधव खुराना ने कहा कि आरोपी ने 17 मई को ईमेल के जरिए अपनी शिकायत भेजी।
उन्होंने कहा कि आरोपी घटना वाली जगह पर था, उससे पूछताछ की गई लेकिन वह जांच से बच रहा था। उन्होंने यह भी कहा कि इससे पहले आरोपी कथित तौर पर एक पब्लिक सर्वेंट पर भी हमला कर चुका है। अगर आरोपी बेगुनाह है तो उसने अपना फोन क्यों फॉर्मेट किया, सीसीटीवी से छेड़खानी की और 17 मई को शिकायत दर्ज करवाई। उन्होंने कोर्ट को यह भी बताया कि शिकायतकर्ता को रेप और मर्डर की धमकियां मिल रही हैं।
कोर्ट में स्वाति मालीवाल ने क्या कहा?
आम आदमी पार्टी की सांसद स्वाति मालीवाल ने कहा- मेरे बयान दर्ज करवाने के बाद आप नेताओं ने प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की। मुझे बीजेपी एजेंट कह गया। उनके पास बहुत बड़ी मशीनरी, उन्होंने इस मशीनरी को काम में लगा दिया है। आरोपी को मुंबई पार्टी के नेता लेकर गए। अगर इस आरोपी को बेल दी गई तो मुझे और मेरे परिवार को खतरा होगा। स्वाति मालीवाल ने कहा कि बिभव कुमार आम आदमी नहीं है। वह मिनिस्टर्स द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली सुविधाएं लेता है।
(Input-ANI)