उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 से ठीक पहले बीजेपी छोड़कर समाजवादी पार्टी में जाने वाले स्वामी प्रसाद मौर्य पिछले कुछ महीनों में अपने विवादित बयानों के चलते चर्चा में रहे हैं। इन सबके बीच आज अचानक स्वामी प्रसाद मौर्य ने सपा में अपने राष्ट्रीय महासचिव पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने अपना इस्तीफा सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव को भेज दिया है। स्वामी प्रसाद यादव ने अपने इस्तीफे का कारण भी बताया है।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने एक्स हैंडल पर इस्तीफे की कॉपी भी शेयर की है। इसमें उन्होंने काफी लंबा कारण बताया है। स्वाम प्रसाद मौर्य ने लिखा है कि वे पिछड़ों दलितों और आदिवासियों को लेकर आवाज उठा रहे थे। उन्होंने कहा है कि किंतु पार्टी द्वारा लगातार इस नारे को निष्प्रभावी करने का प्रयास कर रहे हैं।

स्वामी प्रसाद मौर्या ने अपने इस्तीफे में पार्टी के ही वरिष्ठ नेताओं पर तंज कसा है। उन्होंने कहा कि हैरानी तो तब हुई जब पार्टी के वरिष्ठतम नेता चुप रहने के बजाय मेरे निजी बयान कह करके कार्यकर्ताओं के हौसले को तोड़ने की कोशिश की, मैं नहीं समझ पाया एक राष्ट्रीय महासचिव हूँ, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है और पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव व नेता ऐसे भी हैं जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है, एक ही स्तर के पदाधिकारियों में कुछ का निजी और कुछ का पार्टी का बयान कैसे हो जाता है, यह समझ के परे है।

स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा है कि हैरानी यह है कि मेरे इस प्रयास से आदिवासियों, दलितों, पिछड़ो का रुझान समाजवादी पार्टी के तरफ बढ़ा है। बढ़ा हुआ जनाधार पार्टी का और जनाधार बढ़ाने का प्रयास व वक्तव्य पार्टी का न होकर निजी कैसे? यदि राष्ट्रीय महासचिव पद में भी भेदभाव है, तो में समझता हूँ ऐसे भेदभाव पूर्ण, महत्वहीन पद पर बने रहने का कोई औचित्य नहीं है। इसलिए समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव पद से में त्यागपत्र दे रहा हूँ, कृपया इसे स्वीकार करें।

बता दें कि स्वामी प्रसाद मौर्य ने पिछले कुछ दिनों में रामचरित मानस से लेकर राम मंदिर उद्घाटन के मुद्दे पर विवादित बयान दिए थे। इसको लेकर जब भी किसी वरिष्ठ नेता से बात की गई, तो वे इसे मौर्य का निजी बयान बताकर नजरंदाज कर देते थे। अब इसी मुद्दे पर स्वामी प्रसाद मौर्य ने नाराजगी जताई है। मौर्य ने कहा है कि अगर मैं पार्टी का महासचिव का हूं तो मेरा बयान निजी कैसे हो सकता है।