सीमा विवाद की वजह से चीन निर्मित सामान के बहिष्कार को केंद्रित समाज की ओर से जो स्वदेशी आंदोलन शुरू हुआ उसके सूत्रपात का श्रेय रक्षाबंधन ने ले लिया। देसी राखियों ने चीनी राखियों को बाजार से खदेड़ दिया है। बाजार विभिन्न प्रकार के स्वदेशी राखियों से पटा पड़ा है। बता दें कि यह स्थिति रातों-रात नहीं हुई बल्कि करीब सवा महीने के मशक्कत के बाद संभव हो सकी। इसके लिए राखियों का विषय तय हुआ है। राखियों को बनाने के लिए इलाके तय हुए। जागरूकता अभियान चला और तब यह लक्ष्य पाया जा सका।

बाजार में स्वदेशी राखियां कई तरह की हैं। मसलन फास्ट फूड राखी, केसरिया परंपरागत राखी, अयोध्या में राम मंदिर की झलक वाली राखी, रेशमी डोरी वाली राखी। इसके अलावा पबजी राखी, स्वैग वाली राखी, मोगली राखी, सुपर ब्रो भाई, डोरेमन नाम के टैग वाली राखियां भी बाजारों में लाई गई हैं। आभूषण वाले यानी चांदी व मोतियों वाले राखी कुछ खास जगह देखी जा सकती हैं। इसके अलावा दिल्ली में बनी मोदी राखी, नागपुर की जूट राखी, पूणे की बीज राखी, मध्यप्रदेश की ऊन की राखी, असम र्की चाय की पत्ती से बनी राखी भी चर्चा का केंद्र बनी हुई है।

सदर बाजार, तिलक नगर, लाजपत नगर, सरोजिनी नगर, खान मार्किट से लेकर हर छोटे-बडे़ बाजारों में फास्ट फूड राखी ने पूरी तरह धूम मचा रखी है। बहनें इन फास्ट फूड राखियों को खरीदना काफी पसंद कर रही हैं। फास्ट फूड राखियों में चाउमीन, बर्गर, इडली, सांभर-डोसा, डोनट, काठी रॉल्स, पिज्जा व पावभाजी लोगों को काफी पसंद आ रही है। इसमें भी बच्चे डोनट, पिज्जा व बर्गर की राखियों को काफी पसंद कर रहे हैं। ये राखियां कलकता से बनाकर भेजी जा रही हैं। इन राखियों की कीमत 20 रुपए से लेकर 50 रुपए तक है। सदर बाजार इन दिनों केसरिया रंग की राखियों से पटा हुआ है। बाजारों में परंपरागत राखियां ही बिक रही हैं। केसरिया रंग के मौली वाले धागे से निर्मित और रेशम की डोर से सजावट किए गए राखी कई बाजारों में छाई हुई है। इतना ही नहीं, अयोध्या में राम मंदिर की झलक इन दिनों राखी के डिजाइन में भी देखने को मिल रही है।

मोदी और रफाल राखी की बिक्री भी शुरू
चीनी वस्तुओं के बहिष्कार के अपने राष्ट्रीय अभियान के अंतर्गत इस साल के राखी त्योहार को हिंदुस्तानी राखी के रूप में मनाए जाने वाला अखिल भारतीय व्यापारी संघ (कैट) का अभियान बुधवार को शुरू हुआ। इस कड़ी में कैट ने दिल्ली के मालवीय नगर मार्केट में हिंदुस्तानी राखी बेचने के लिए एक बड़ा स्टॉल लगाया। जिसमें रफाल के भारत आगमन पर कैट ने रफाल राखी जारी की। इसके अलावा मोदी राखी और अक्साई चीन हमारा है राखी सहित अन्य राज्यों की राखियों की बिक्री शुरू हुई। कैट महामंत्री प्रवीण खंड़ेलवाल ने कहा कि स्वदेशी राखियों की 300 से ज्यादा दुकानें लगाई जा रही हंै।

ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए दुकानदार दे रहे छूट
सरोजनी नगर मिनी मार्केट एसोसिएशन के अध्यक्ष अशोक रंधावा ने बताया कि पिछले कुछ दिनों में बाजार में ग्राहकों की संख्या बढ़ी है। ग्राहकों की संख्या बढ़ाने के लिए दुकानदार 20 से 50 फीसद तक की छूट दे रहे हंै। इसके अलावा बाजार आने वाले ग्राहकों को मास्क मुफ्त में दिया जा रहा है। सीटीआइ के अध्यक्ष बृजेश गोयल ने बताया कि चीन से राखियों का काफी कच्चा माल भी आता है, लेकिन इस बार कोई आॅर्डर चीन को नहीं दिया गया । उन्होंने बताया कि बीते कई सालों से चीन में बनी राखी और राखी बनाने में इस्तेमाल होने वाले फोम, मोती, बूंदे, धागा, सजावटी थाली जैसे सामान ने भारत के राखी बाजार पर कब्जा कर लिया था। गोयल बताते हैं कि दिल्ली में रक्षाबंधन पर करीब 50 करोड़ से अधिक का राखी कारोबार होता है।