मोदी सरकार की प्रमुख योजनाओं में से एक स्वच्छ भारत अभियान के लिए सरकार ने स्वच्छ भारत कोष को पांच साल में 777.4 करोड़ रुपये दिये हैं। लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि विदेशों से इस अभियान के लिए मात्र 13.79 लाख रूपाय ही आए हैं। इस बात का खुलासा आरटीआई के माध्यम से द इंडियन एक्सप्रेस ने किया है।

वित्त मंत्रालय के अधीन आने वाले व्यय विभाग द्वारा जारी आरटीआई डेटा के अनुसार 1 अप्रैल 2015 से 20 जनवरी 2020 तक यानि 2015-16, 2016-17 और 2019-20 में विदेशों से आने वाला फ़ंड ‘शून्य’ था। डेटा बताता है कि 2017-18 में 3.79 लाख रुपये मिले और उसके अगले साल 10 लाख रुपये आए थे।

विभाग, जो स्वच्छ भारत कोष के लिए नोडल बिंदु है ने विदेशी सोर्स से योगदान का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी विदेशी योगदान भारतीय स्टेट बैंक में आयोजित एक विशेष नामित बैंक खाते में प्राप्त होते हैं। विभाग ने अपने आरटीआई जवाब में कहा कि मुख्य लेखा नियंत्रक (वित्त) को एसबीके ट्रस्ट के खाते रखने की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

जवान में कहा गया है कि ज्यादातर, विभिन्न देशों में भारत के महावाणिज्य दूतावास जैसी नामित एजेंसियों के माध्यम से विदेशी योगदान प्राप्त होता है…कुछ योगदान सीधे नामित बैंक खाते में किए जाते हैं।

महात्मा गांधी की 150वीं जयंती वर्ष 2019 तक स्वच्छ भारत के उद्देश्य को प्राप्त करने के लिए, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त, 2014 को लाल किले से इस ट्रस्ट की घोषणा की थी। 24 अप्रैल 2015 को एसबीके ट्रस्ट पंजीकृत किया गया था।

विदेशी स्रोतों से योगदान की सुविधा के लिए, गृह मंत्रालय (एमएचए) ने ट्रस्ट को विदेशी योगदान (विनियमन) अधिनियम (एफसीआरए) के तहत इस शर्त पर छूट दी कि “सभी विदेशी योगदान केवल एक विशेष बैंक खाते में प्राप्त होंगे।”

16 जून, 2016 के एमएचए आदेश में यह भी कहा था कि प्राप्त और उपयोग किए गए विदेशी योगदान के संबंध में खातों और रिकॉर्ड का एक अलग सेट बनाया जाएगा।