प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से अपनी महत्वकांक्षी योजना ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की शुरुआत की थी। इस अभियान के तहत देश को खुले में शौच से मुक्त करने के उद्देश्य से सरकार ने शौचालयों का निर्माण कराया। हालांकि पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र में ही शौचालयों के निर्माण में धांधली का मामला सामने आया है। दरअसल जांच में पता चला है कि कई लोगों द्वारा शौचालय का निर्माण ना कराकर उसके पैसों को निजी रुप से इस्तेमाल कर लिया गया।

यही वजह है कि इस खुलासे के बाद प्रशासन ने अब पूरे जिले में शौचालयों के निर्माण की जांच के लिए 350 नोडल अधिकारी नियुक्त किए हैं। इसके साथ ही दोषी लोगों को चिन्हित कर उनके खिलाफ भू-राजस्व की तरह वसूली और एफआईआर दर्ज कराने की कार्रवाई शुरू की गई है। वाराणसी के शहरी और ग्रामीण इलाकों में सरकार ने 2 लाख 76 हजार घरों में शौचालय बनाने में आर्थिक मदद दी है।

हालांकि अब इन ‘इज्जतघरों’ के निर्माण में धांधली के मामले सामने आए हैं। अब तक की जांच में वाराणसी के शहरी क्षेत्र में 6 हजार में से करीब 900 ऐसे लोग चिन्हित हुए हैं, जिन्होंने शौचालय बनवाकर सरकारी धन का गबन किया है। जिलाधिकारी ने इन सभी आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने का आदेश दिया है। सरकारी धन का दुरुपयोग करने वालों की थानावार सूची तैयार की जा रही है।

वहीं वाराणसी के ग्रामीण इलाके में मेंहदीपुर गांव में भी शौचालयों को निर्माण में धांधली का मामला सामने आया है। जिसके बाद प्रशासन ने ग्राम प्रधान और ग्राम सचिव के खिलाफ सरकारी धन की वसूली के लिए नोटिस जारी कर दिया है। सरकारी अधिकारियों के मुताबिक फिलहाल 350 नोडल अधिकारी जिले में बने 2 लाख 76 हजार शौचालयों की जांच करेंगे, लेकिन यदि जरुरत समझी गई तो किसी और एजेंसी से भी इसकी जांच करायी जा सकती है। आरोपियों के दोषी साबित होने पर उन्हें जेल भेजकर उनसे सरकारी धन की वसूली की जाएगी।