Indus Water Treaty: सिंधु जल संधि के निलंबन से जम्मू और कश्मीर के बांदीपोरा जिले में भारत की सबसे बड़ी मीठे पानी की झीलों में से एक वुलर झील को फिर से जीवंत करने वाले प्रोजेक्ट के पूरा होने की उम्मीद फिर से जाग गई है। यह प्रोजेक्ट इसी तरह से रुकी हुई तुलबुल नेविगेशन लॉक प्रोजेक्ट से लगभग 2.5 किलोमीटर ऊपर है। इसे तत्कालीन राज्य सरकार के सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण विभाग ने 2013 में 30 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से शुरू किया था। तुलबुल प्रोजेक्ट की तरह, इसे भी पाकिस्तान की दलीलों के कारण रोक दिया गया था कि यह IWT का उल्लंघन करती है।
पहलगाम आतंकी हमले के बाद अब संधि स्थगित होने की वजह से केंद्र सरकार इस प्रोजेक्ट को सरकारी स्वामित्व वाली जलविद्युत कंपनी एनएचपीसी लिमिटेड को सौंपने की प्लानिंग कर रही है। इस पर जो सुझाव दिए गए हैं, उनमें से एक यह भी है कि केंद्र सरकार इसके लिए पैसा मुहैया कराए। सूत्रों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वुलर झील प्रोजेक्ट पर तब चर्चा हुई जब केंद्र सरकार ने केंद्र शासित प्रदेश में उन प्रोजेक्ट का ब्यौरा मांगा जो संधि के निलंबन से प्रभावित होंगी। इन प्रोजेक्ट पर केंद्रीय गृह मंत्रालय के अधिकारियों की एक बैठक में चर्चा की गई। इसमें वुलर प्रोजेक्ट को एनएचपीसी को देने का फैसला लिया गया।
इस प्रोजेक्ट का उद्देश्य
इस प्रोजेक्ट का मकसद गर्मियों के दौरान वुलर झील में वॉटर लेवल को बनाए रखना, अतिक्रमणों पर अंकुश लगाना और बाढ़ को कम करना था। सूत्रों ने बताया कि इसमें झील के किनारे 2.5 किलोमीटर लंबे बाढ़ सुरक्षा बांध और स्पिलवे का निर्माण और झील के तटबंधों को मजबूत करना शामिल था। वुलर झील जम्मू और कश्मीर के मछली प्रोडक्शन में लगभग 60 फीसदी योगदान देती है।
सिंधु जल संधि पर पुनर्विचार की जरूरत
यह भी पता चला है कि जम्मू-कश्मीर सरकार केंद्र सरकार के सामने तुलबुल नेविगेशन लॉक प्रोजेक्ट को फिर से जिंदा करने का सुझाव देगी। इतना ही नहीं इसके अलावा वह एक ऐसे प्रोजेक्ट के लिए भी आग्रह करेगी जो जम्मू-कश्मीर को जम्मू शहर को पानी मुहैया कराने के लिए चिनाब नदी से कुछ पानी खींचने की इजाजत दे।
तुलबुल प्रोजेक्ट पर काम 1980 के दशक में ही हो गया था शुरू
जम्मू-कश्मीर सरकार के अधिकारियों ने बताया कि तुलबुल परियोजना पर काम 1980 के दशक में ही शुरू हो गया था और बैराज की नींव तैयार हो चुकी है। नाम न बताने की शर्त पर एक अधिकारी ने बताया, ‘आपको बस गेट लगाने होंगे। इससे झेलम में कुछ पानी रुकेगा। इससे वुलर झील का वॉटर लेवल बढ़ेगा और झेलम का वॉटर लेवल भी बढ़ेगा।’
दूसरे प्रस्ताव के बारे में अधिकारियों ने कहा कि यह एक ऐसा प्रोजेक्ट था जिसे सीएम उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर सरकार एशियाई विकास बैंक के वित्तपोषण से आगे बढ़ाना चाहती थी। अधिकारी ने कहा, ‘लेकिन पाकिस्तान ने चीन को इसमें बाधा डालने के लिए कहा।’ अधिकारियों के अनुसार, अगर केंद्र सरकार बाद में सिंधु जल संधि को बहाल भी कर देती है, तो वह संधि स्थगित रहने के दौरान जो कुछ किया गया है, उस पर यथास्थिति बनाए रखने की मांग कर सकती है। सिंधु हमारी नदी, इस पर हमारा भी हक