सरकार ने आज लोकसभा में कहा कि देश के 50 युवक कट्टरपंथ (रेडिकलाइज करने) के प्रभाव में ‘उस तरफ’ चले गये लेकिन भारतीय मूल्यों और संस्कारों की वजह से देश में इस खतरे के प्रभाव कम हैं। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि युवकों का कट्टरता की ओर जाने का मुद्दा केवल जम्मू कश्मीर तक सीमित नहीं है बल्कि देश के सभी राज्यों और पूरी दुनिया में इसका असर है। उन्होंने प्रश्नकाल में उत्तर देते हुए कहा कि 50 भारतीय युवक कट्टरता के प्रभाव में ‘उस ओर चले गये’। हालांकि देश के मूल्य, हमारी संस्कृति और अभिभावकों के बच्चों पर ध्यान देने की वजह से भारत में इस खतरे का कम प्रभाव है। उन्होंने कहा कि हमारा संविधान धर्मनिरपेक्ष है और हम मानते हैं कि हिंसा अच्छी नहीं होती। इससे भी मदद मिली है।

सुषमा ने भाजपा के सत्यपाल सिंह के प्रश्न के उत्तर में कहा कि केंद्र सरकार ने इस दिशा में राज्यों के साथ एक कार्यक्रम भी चलाया है ताकि युवकों को गलत दिशा में जाने से रोका जा सके। उन्होंने आर संबाशिवा राव के प्रश्न के उत्तर में बताया कि भारत इस साल कट्टरता रोधी सम्मेलन की मेजबानी करेगा जिसमें आसियान देशों को भाग लेने के लिए आमंत्रित किया गया है। उन्होंने कहा कि सम्मेलन की थीम ‘सीमापार आतंकवाद’ और ‘कट्टरता रोधी प्रयास’ होंगे।

सुषमा ने यह भी कहा कि सरकार उलेमाओं और विद्वानों के साथ कट्टरता-रोधी सम्मेलन आयोजित करने के एआईएमआईएम सांसद असदुद्दीन ओवैसी के सुझाव पर सकारात्मक विचार करेगी। ओवैसी ने कहा था कि नेताओं के बजाय विद्वानों, उलेमाओं के साथ सरकार को सम्मेलन करना चाहिए क्योंकि मलेशिया समेत कई देशों में विद्वानों ने युवकों को कट्टरता की ओर जाने से रोकने में सफल प्रयास किये हैं।

गौरतलब है कि 2 माह पहले अमेरिका ने कहा था कि देश को इस्लामी आतंकवाद से वास्तविक खतरा है और देश के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अमेरिका और इसके नागरिकों की सुरक्षा के लिये हर जरूरी कदम उठायेंगे। व्हाइट हाउस के प्रेस सचिव सीन स्पाइसर ने बुधवार (8 फरवरी) को अपने दैनिक संवाददाता सम्मेलन में कहा था, ‘हम आईएसआईएस और कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद के वास्तविक खतरे का सामना कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति देश और इसके नागरिकों की सुरक्षा के लिये हर जरूरी कदम उठा रहे हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति के ऐसा कदम उठाने का कारण यह है कि ‘हमें निश्चित रूप से सतर्क बने रहना चाहिए। हम अपनी सुरक्षा से लापरवाही नहीं कर सकते। हमें औसत से आगे रहना होगा।’

एक प्रश्न के जवाब में उन्होंने कहा था, ‘आज हम आसन्न खतरे का सामना नहीं कर सकते। हम यह भी नहीं जानते कि अगला खतरा कब आयेगा। यह अगले हफ्ते होगा? अगले महीने होगा? अगले साल होगा? लेकिन राष्ट्रपति चाहते हैं कि हम औसत से आगे बढ़ें और हमें क्या करना चाहिए, इस बारे में हम सिर्फ बात नहीं कर रहे हैं बल्कि ऐसा नहीं हो, यह सुनिश्चित करने के लिये हर जरूरी कदम उठा रहे हैं।’