सार्क (साउथ एशियन असोसिएशन फॉर रीजनल कॉपरेशन) के विदेश मंत्रियों की गुरुवार को बैठक हुई। इस बैठक में अपने भाषण के दौरान सुषमा स्वराज ने पाकिस्तान को अप्रत्यक्ष तौर पर निशाने पर लिया। सुषमा ने बताया कि दक्षिण एशिया पर खतरा मंडरा रहा है। सुषमा ने कहा, ‘हमारे क्षेत्र में शांति और स्थायित्व के लिए सबसे बड़ा खतरा आतंकवाद ही बना हुआ है। यह आवश्यक है कि हम हर तरह के आतंकवाद को बिना भेदभाव के खत्म करें और इसे मदद करने वाले तंत्र को भी मिटाएं।’
वहीं, पाकिस्तान के विदेश मंत्री ने उल्टे सुषमा को ही घेर डाला। शाह महमूद कुरैशी ने आरोप लगाया, ‘हमारे बीच कोई बात नहीं हुई। वह (सुषमा स्वराज) बीच में ही छोड़ कर चली गईं। शायद उनकी तबीयत अच्छी नहीं थी। मैंने उनका बयान सुना। उन्होंने क्षेत्रीय सहयोग के बारे में बात की। क्षेत्रीय सहयोग कैसे संभव हो सकता है जब हर कोई बैठकर बात करने को तैयार हो और आप उसमें बाधा डाल रहे हों।’
हालांकि, सूत्रों के मुताबिक, भारत ने पाकिस्तान के विदेश मंत्री के बयान को सिरे से खारिज किया है। भारत का मानना है कि विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के इस अनौपचारिक बैठक से जाने को लेकर पाकिस्तानी विदेश मंत्री की टिप्पणी चौंकाने वाली और दुर्भाग्यपूर्ण है। सुषमा मीटिंग से न तो सबसे पहले गईं और न ही वह ऐसा करने वाली इकलौती शख्स थीं। सुषमा से पहले तो अफगानिस्तान और बांग्लादेश के विदेश मंत्री मीटिंग से चले गए। इसके अलावा, इस तरह की बहुदेशीय मुलाकातों में अपना भाषण देकर जाना एक मानक प्रक्रिया है। सुषमा स्वराज इसलिए भी चली गईं क्योंकि उन्हें भारतीय समुदाय के कुछ समूहों से मुलाकात के अलावा कुछ अन्य बैठकों में शामिल होना था।
माना जा रहा है कि सुषमा द्वारा अपना भाषण खत्म किए जाने के बाद वहां से चला जाना पाक विदेश मंत्री को अच्छा नहीं लगा। सुषमा ने कुरैशी के बयान का इंतजार नहीं किया। वहीं, कुरैशी ने इसका गुस्सा यह कहकर निकाला कि भारत ‘सार्क की तरक्की’ में अड़ंगा लगा रहा है। उन्होंने कहा, ‘अगर आप इस फोरम से कुछ हासिल करना चाहते हैं तो आपको आगे बढ़ना होगा। इसे करने का क्या तरीका है? मुझे यह कहने में कोई संकोच नहीं है कि एक देश का रवैया सार्क के तरक्की, क्षेत्रीय विकास और संपन्नता की राह में रोड़े अटका रहा है, जो सार्क के मूल आत्मा के खिलाफ है।’ बाद में मीडिया वालों से बातचीत में कुरैशी ने सुषमा के बीच मीटिंग में जाने का आरोप लगाया।