लंबे समय से चली आ रही बीमारी और किसी अन्य स्वास्थ्य सेवाओं के लिए हर कोई देश की राजधानी दिल्ली में स्थित एम्स का रुख करता है। मंत्री, नेता और अधिकारियों के अलावा यहां आम इंसान में बेहतर इलाज के लिए आता है। हालां के एक ताजा सर्वे में एम्स टॉप 10 में भी नहीं है। इस सर्वे में एक और चौंकाने वाली बात सामने आई है। इसनें बताया गया है कि पीएम मोदी के वाराणसी का फेमस अस्पताल लिस्ट में सबसे खराब स्थिति में है। जबकि टॉप पर पुडुचेरी स्थित जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च सेंटर है। यहां होने वाले इलाज से मरीज सबसे ज्यादा खुश हैं।

दैनिक भाष्कर की खबर के अनुसार, स्वास्थ्य मंत्रालय ने अप्रैल 2018 से दिसंबर तक सर्वे कराया। इस सर्वे में इलाज और व्यवस्था के आधार पर फीडबैक लेकर रैंकिंग तैयार की गई। सर्वे में देशभर के केंद्रीय और जिला अस्पतालों को शामिल किया गया था। इस दौरान 7 करोड़ 21 लाख 28 हजार 718 मरीज अस्पताल पहुंचे। इनमें से सिर्फ 23 फीसदी मरीजों ने इलाज के लिए बनने वाले पर्चे पर सही मोबाइल नंबर दिया। हालांकि सर्वे में इस संख्या के केवल 8 प्रतिशत ही मरीजों ने फीडबैक दिया। मरीजों से अस्पतालों को लेकर फोन पर सवाल पूछे गए।

सर्वे में केंद्र के टॉप 5 अस्पताल में पुडुचेरी का जवाहरलाल नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल एजुकेशन एंड रिसर्च, राजस्थान के जोधपुर का एम्स, दिल्ली स्थित वीपीसीआई, असम का एलजीबीआरआईएमएच और कर्नाटक का निम्हांस शामिल हैं। सर्वे में राज्य सरकार के जो अस्पताल टॉप 5 में रहे उनमें तीन तमिलनाडु के ही हैं। तमिलनाडु का जिला अस्पताल मेटुर डम, जिला अस्पताल नामाक्कल, और जिला अस्पताल इरोड शामिल हैं। इसके अलावा दो अन्य कर्नाटक के हैं। जिसमें जिला अस्पताल उडुप्पी और लेडी गोश्चन अस्पताल शामिल है।

जबकि नीचे से लिस्ट में पांच अस्पताल में चार उत्तर प्रदेश के हैं जबकि एक बिहार का है। उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित श्री शिव प्रसाद गुप्त डिविजनल जिला अस्पताल शामिल है। इसे सबसे खराब फीडबैक मिले हैं। बस्ती का जिला पुरुष अस्पताल, फैजाबाद स्थित जिला पुरुष अस्पताल और आजमगढ़ का डिविजनल डिस्ट्रिक्ट अस्पताल है। वही इसमें बिहार के मुंगेर स्थित सदर अस्पताल को शामिल किया गया।