Supreme Court: शिवसेना नेता (यूबीटी) संजय राउत ने पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ पर गंभीर आरोप लगाए थे। जिसका चंद्रचूड़ ने पुरजोर खंडन किया है। संजय राउत ने आरोप लगाया था कि चंद्रचूड़ ने विधायकों की अयोाग्यता के मामलों पर सही तरीके से निर्णय नहीं लिया, जिसके कारण एमवीए सरकार गिर गई और उनकी पार्टी को चुनावी हार का सामना करना पड़ा।

राउत के इन आरोपों पर पूर्व सीजेआई ने ANI को दिए एक इंटरव्यू में कहा, ‘हमारे कार्यकाल के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कई महत्वपूर्ण संवैधानिक मामले चल रहे थे। हमने 9 जजों की बेंच, 7 जजों की बेंच और 5 जजों की बेंच के फैसले दिए। क्या कोई एक पार्टी या व्यक्ति यह तय कर सकता है कि सुप्रीम कोर्ट को कौन सा मामला सुनना चाहिए? यह फैसला केवल मुख्य न्यायाधीश को होता है।’

संजय राउत ने आरोप लगाए थे कि शिंदे गुट के विधायकों की अयोग्यता के मामलों पर निर्णय में देरी करके चंद्रचूड़ ने राजनेताओं से कानून का डर हटा दिया, जिससे एमवीए सरकार का पतन हुआ। उन्होंने यह भी कहा था कि कोर्ट द्वारा फैसलों में देरी के कारण राजनीतिक परिणामों पर असर पड़ा और इतिहास उन्हें माफ नहीं करेगा।

चंद्रचूड़ ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पास सीमित संसाधन और जज हैं और इसलिए उन्हें संवैधानिक मामलों के समाधान में संतुलन बनाए रखना पड़ता है।

उन्होंने कहा कि कई महत्वपूर्ण मामलों का सुप्रीम कोर्ट में 20 सालों से इंतजार हो रहा है। क्या हमें उन पुराने मामलों को न सुनकर हालिया मामलों पर ध्यान देना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट की प्राथमिकताएं संवैधानिक मुद्दों पर होती हैं, जो समाज के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।

संजय राउत के आरोप के बारे में बोलते हुए चंद्रचूड़ ने कहा कि यह उम्मीद करना कि कोर्ट राजनीतिक एजेंडों के अनुरूप चले यह गलत है। उन्होंने कहा कि हमने चुनावी बॉन्डस पर फैसला लिया। क्या यह कम महत्वपूर्ण था?

चंद्रचूड़ ने अन्य मामलों का हवाला दिया, जिनमें दिव्यांगता अधिकार, नागरिकता संशोधन अधिनियम की धारा 6A की संवैधानिक वैधता और संघीय संरचना तथा जीवन-यापन से जुडे महत्वपूर्ण फैसले शामिल थे।

राजनीतिक दखल के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए चंद्रचूड़ ने कहा कि लोगों को यह अनुमान नहीं लगाना चाहिए कि न्यायपालिक संसद या राज्य विधानसभाओं में विपक्ष की भूमिका निभाएगी।हमारा काम कानून की समीक्षा करना है। उन्होंने न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर जोर देते हुए नेताओं से मिलने को केवल सामाजिक शिष्टाचार बताया, जो न्यायिक स्वतंत्रता से समझौता नहीं करता।

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पूर्व सीजेआई ने यह भी कहा कि न्यायपालिका को बाहरी दबावों से बचाने के लिए उसे मजबूत बनाए रखना जरूरी है। उन्होंने कहा कि कुछ अत्यधिक संसाधन वाले लोग कोर्ट में आकर यह दबाव बनाने की कोशिश करते हैं कि उनका मामला पहले सुना जाए। हमें इस तरह के दबावों से बचना होगा।

चंद्रचूड़ ने यह भी बताया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले आर्टिकल 370, अयोध्या और सबरीमाला जैसे मामलों में बिना किसी दबाव के दिए गए थे। उन्होंने कहा कि अगर कोई दबाव होता है तो सुप्रीम कोर्ट उन मामलों पर निर्णय लेने में इतना समय क्यों लेता?

हालांकि, चंद्रचूड़ ने न्यायपालिका में सुधार की आवश्यकता को भी स्वीकार किया। उन्होंने जिला अदालतों में रिक्तियों को भरने और बुनियादी ढांचे में सुधार की वकालत की। उन्होंने यह भी कहा कि सुप्रीम कोर्ट का लक्ष्य वंचित वर्गों से जुड़े मामलों को प्राथमिकता देना है। जैसे उनके कार्यकाल में 21,000 से ज्यादा जमानत आवेदन हल किए।