रामजन्म भूमि मामले की सुनवाई के दौरान इस महीने के शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने पूछा था कि क्या अयोध्या में अभी श्रीराम का कोई वंशज रह रहा है। इस सवाल पर अयोध्या के लोग भी हैरान हैं। ‘राम लल्ला विराजमान’ की पैरवी करने वाले वकील के. परासरन ने पीठ को आश्वस्त किया कि वे राम के वंशजों को खोजने का प्रयास करेंगे।

यहां तक कि अयोध्या भी इस बारे में जानना चाहता है। अभी तक भगवान राम या रघुवंश से संबंध रखने वाले 7 लोग सामने आए हैं। इनमें से 6 लोग राजस्थान से हैं। इनमें जयपुर और उदयपुर के शाही परिवार के सदस्य भी हैं। जबकि एक व्यक्ति रायबरेली से है। इन सब में से कोई भी अयोध्या से नहीं है।

यह शहर जिसके इतिहास का संबंध अब इस देश की राजनीति से अटूट हो चुका है, को लेकर सिद्धांत व कहानियों की कोई कमी नहीं है। रामानंद संप्रदाय के जगतगुरु राम दिनेशाचार्यजी महाराज (इस धड़े को भगवान राम का वंशज माना जाता है) कहते हैं कि भगवान राम अच्युत गोत्र से संबंध रखते थे।

इस क्षत्रिय संत को गोत्र को भगवान राम का वंशज माना जाना चाहिए। श्रीमद भागवत महापुराण में यह वर्णित है कि इच्छवाकु वंश के अंतिम राजा सुमित्रा थे। राम का वंश कलयुग में खत्म हो गया और इस बात के प्रमाण पुराणों में हैं। अब जो चीज जो संत समाज को भगवान राम से जोड़ती है वह है अच्युत गोत्र। दिनेशाचार्यजी का कहना है कि यह भगवान राम का गोत्र है।

अयोध्या साम्राज्य को अलग-अलग समय पर साकेत, प्रथमपुरी, इच्छवाकु भूमि और अवधपुरी के नाम से भी जाना जाता था। इसे वैवस्वत मनु ने बसाया था। इतिहासकार रामानंद शुक्ला अयोध्या में जैन संस्कृति पर आधारित अपनी किताब में लिखते हैं कि मनु के बड़े बेटे इच्छवाकु और सूर्यवंश ने यहां से शुरुआत की थी।

किताब में महाराज पृथ, श्रावस्त, भागीरथ, रघु, अज और दशरथ का जिक्र है। वर्तमान में ‘अयोध्या किंग’ यतींद्र मोहन मिश्र भारतीय साहित्य की दुनिया में सम्मानित नाम हैं। यतींद्र यह स्वीकार करते हैं कि अयोध्या में हमारा इतिहास 250-300 साल पुराना है और इसे महाकाव्य से नहीं जोड़ा जा सकता जो कि हजारों साल पुरानी हैं।

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यहां रहने वाले शशांक शेखर राम के वंशज खोजने पर हैरानी जताते हैं। वह कहते हैं कि यदि हम मान लें कि राम का जन्म 5114 बीसी में हुआ था तो भी इस बात को 7000 साल बीत चुके हैं। अब हम उनके वंशजों को कैसे खोज सकते हैं? यहां के स्थानीय लोगों का मानना है कि सुप्रीम ने जो बहस शुरू की है उसका कोई अंत नहीं है। महंत नृत्य गोपालदास भी इस पर खोज पर हैरानी जताते हैं। वह भाजपा सांसद ब्रजभूषण शरण सिंह को भगवान राम का प्रत्यक्ष वंशज बताते हैं।