सुप्रीम कोर्ट ने अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन पर फैसला सुनाते हुए बुधवार (13 जुलाई) भाजपा को बड़ा झटका दिया है। कोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को गलत और असंवैधानिक बताते हुए कांग्रेस से कहा है कि अरुणाचल प्रदेश में 15 दिसंबर 2015 की स्थिति बहाल की जाए। गौरतलब है कि कोर्ट ने आज अरुणाचल प्रदेश विधानसभा का सत्र बुलाने और इसे तय समय से पहले आहूत करने के संबंध में राज्यपाल की विवेकाधीन शक्तियों को लेकर दायर की गई याचिकाओं पर फैसला सुनाया है। फैसला आने के बाद ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी के प्रमुख के.सी. मित्तल ने कहा है कि कोर्ट के इस फैसले के बाद राज्यपाल सरकार के एजेंटों की तरह काम करना बंद कर देंगे। वहीं अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री नवाम तुकी ने कहा है कि हमें सुप्रीम कोर्ट ने न्याय मिला है। उन्होंने कहा कि कोर्ट ने आज देश और इसके संविधान को बचा लिया। तुकी ने इसे एक ऐतिहासिक और उल्लेखनीय फैसला बताते हुए कहा कि फैसला ठीक वैसा आया है जैसा कि देश उम्मीद कर रहा था।

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पूर्व सीएम ने कहा कि हम पार्टी MLAs के साथ मीटिंग करके तय करेंगे कि आगे क्या कदम उठाने हैं। मालूम हो कि जस्टिस जेएस खेहर की अध्यक्षता वाली पांच जजों वाले बेंच ने 22 फरवरी को अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में फैसले से न केवल अरुणाचल प्रदेश प्रभावित होगा बल्कि प्रत्येक राज्य प्रभावित होगा। सुप्रीम कोर्ट द्वारा फरवरी में फैसला सुरक्षित रखे जाने से थोड़ी देर पहले ही बागी कांग्रेस नेता कालिखो पुल ने कांग्रेस के 18 असंतुष्ट विधायकों, दो निर्दलियों के समर्थन और भाजपा के 11 विधायकों के बाहरी समर्थन के साथ अरूणाचल प्रदेश के नौवें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली थी ।

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