सुप्रीम कोर्ट शनिवार को हाई कोर्ट् में जजों की नियुक्ति पर कॉलेजियम द्वारा की गई सिफारिशें लंबित रखने के लिये केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया। जजों की नियुक्ति पर देरी को लेकर केंद्र की तरफ से दलील रखने पहुंचे सॉलिसीटर जनरल के के वेणुगोपाल से सवाल जवाब किए। इस दौरान सॉलिसीटर जनरल के तर्क पर असहमति जताई। इस पर संजय किशन कौल और के.एम जोसेफ की बेंच के के वेणुगोपाल पर बिफर पड़ी। कोर्च ने कहा कि हमें ‘ब्लेम गेम’ मत सिखाइए।
टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी एक खबर के मुताबिक, दरअसल अटॉर्नी जनरल हाई कोर्ट्स में रिक्त पदों के छह महीने पहले नियुक्ति प्रक्रिया शुरू नहीं करने के लिए एचसी कॉलेजियम को दोषी ठहराया। इसी दौरान कोर्ट ने केंद्र सकरकार को फटकार लगाई और कहा कि हमें ‘ब्लेम गेम’ मत सिखाइए। इसे एक विरोधात्मकमुद्दा न बनाया जाए।
बता दें कि सरकार ने सुझाए गए लगभग 100 जजों के नामों पर असहमति जताते हुए उन्हें वापस कर दिया था, हालांकि कॉलेजियम ने उन नामों को दोहराया। अटॉर्नी जनरल से नियुक्तियों पर सरकार की धीमी गति पर सवाल किए गए। बेंच ने इस दौरान कहा कि पीठ ने कहा कि कोलेजियम द्वारा जज के पदों के लिए जिन अच्छे उम्मीदवारों का चयन किया गया है वह देरी की वजह से अपना नाम वापस ले रहे हैं।
बता दें कि डिपॉर्टमेंट ऑफ जस्टिस के मुताबिक 1 नवंबर तक को हाई कोर्ट में जारी 1,079 में से 424 रिक्तियों को मंजूरी दी गई है यानि कि अभी भी 40 फीसदी रिक्तियां ज्यों की त्यों हैं। गौरतलब है कि पूर्व चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया रंजन गोगोई न्याय प्रणाली में ज्यादा से ज्यादा जजों की नियुक्ति पर बल दे चुके हैं। उनका कहना था कि भारतीय न्यायिक व्यवस्था में न्यायिक सुधार की जरूरत है।