Anil Ambani Ericsson case: दिल्ली पुलिस ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट के दो अधिकारियों को अदालत की वेबसाइट पर कथित तौर पर एक आदेश पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया है। दरअसल, अनिल अंबानी और एरिक्शन के बीच चल रहे विवाद के दौरान जस्टिस आरएफ नरिमन और जस्टिस विनीत सरन के आदेश में अंबानी को सुनवाई के दौरान कोर्ट में निजी तौर पर मौजूद रहने को कहा था। वहीं, कर्मचारियों ने इसकी जगह वेबसाइट पर आदेश अपलोड किया था, ‘अंबानी को निजी तौर पर उपस्थित रहने को नहीं कहा गया’।
गिरफ्तार लोगों की पहचान कोर्ट मास्टर मानव शर्मा और असिस्टेंट रजिस्ट्रार तपन कुमार चक्रबर्ती के रुप में हुई है। इस गलत आदेश को पोस्ट करने शिकायत मिलने के बाद दोनों कर्मचारियों को सीजेआई रंजन गोगोई ने पहले ही बर्खास्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट के प्रशासनिक विभाग से शिकायत प्राप्त करने के बाद एक वरिष्ठ अधिकारी ने इनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। अधिकारी ने बताया, “जांच के दौरान, हमें आरोपियों के खिलाफ ठोस सबूत मिले और उन्होंने जांचकर्ताओं को भी संतोषजनक जवाब नहीं दिया।”
स्वीडन की टेलिकॉम कंपनी एरिक्शन रिलायंस कम्यूनिकेशन द्वारा 550 करोड़ रुपये के भुगतान को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंची थी। इस मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस आएफ नरीमन और जस्टिस विनीत सरन ने अपने आदेश में अनिल अंबानी को कार्यवाही के दौरान कोर्ट में निजी तौर पर मौजूद रहने को कहा था। लेकिन 7 जनवरी को कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड आदेश में निजी तौर पर मौजूदगी से छूट की बात कही गई थी। 10 जनवरी को एरिक्शन की ओर से इस गड़बड़ी पर ध्यान दिलाया गया, जिसके बाद सही आदेश को अपलोड किया गया। इसके बाद अनिल अंबानी 12 और 13 फरवरी को कोर्ट में पेश हुए।
आदेश से छेड़छाड़ करने के आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ सीजेआई जस्टिस रंजन गोगोई ने कड़ी कार्रवाई करते हुए बर्खास्त कर दिया था। इसके लिए सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट के सेक्शन 11 (3) के तहत मिलने वाली शक्तियों का भी इस्तेमाल किया था। इस शक्ति के तहत सीजेआई को किसी भी कर्मचारी को ‘अभूतपूर्व स्थिति’ में सामान्य अनुशासनात्मक कार्रवाई किए बिना बर्खास्त करने का अधिकार होता है।