दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार को सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी फटकार लगाते हुए पूछा है कि अभी तक हाईकोर्ट को फंड क्यों नहीं जारी किया जा सका है। चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड की अध्यक्षता में जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने दिल्ली सरकार के रवैए पर चिंता जताते हुए कहा गुरुवार तक का समय दिया। पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार को हर हाल में इस समय सीमा के अंदर फंड जारी करना होगा। कोर्ट ने इस केस को गुरुवार को सुनवाई के लिए लिस्टेड किया है।
हाईकोर्ट ने भी जताई थी चिंता – जिला अदालतों में नहीं बची है एक इंच जगह
कुछ समय पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने इस मामले पर चिंता जताई थी। उस समय कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन ने कहा था, “अगले साल तक 100 मजिस्ट्रेट तैयार हो जाएंगे और हमारे पास उन्हें लगाने के लिए जगह ही नहीं है। हमारे पास नई अदालतों के लिए जगह और फंड नहीं हैं। किसी भी जिला कोर्ट में एक इंच जगह नहीं बची है। दिल्ली सरकार न पैसा दे रही है और न ही जगह। हम बहुत कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे फंड जारी नहीं कर रहे हैं।”
कोर्ट ने अपनाया कड़ा रुख, कहा- गुरुवार तक देने होंगे रुपए
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने इस मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, “क्या हो रहा है? आपकी सरकार क्या कर रही है? आप दिल्ली हाईकोर्ट को कोई फंड नहीं देना चाहते हैं? आपको गुरुवार तक रुपए देने होंगे। यह एक मॉडल हाईकोर्ट है और इसकी हालत देखिए। जजों की ट्रेनिंग चल रही है और कोर्टरूम तक नहीं है।”
हाईकोर्ट और निचली अदालतों में कई कोर्टरूम बनाए जाने हैं
दरअसल हाईकोर्ट और निचली अदालतों में कई कोर्टरूम बनाए जाने हैं। कई न्यायिक अधिकारियों, फास्ट ट्रैक कोर्ट के लिए जगह ही नहीं बची है। ऐसे में जगह और निर्माण की व्यवस्था करने के लिए तुरंत फंड की जरूरत है।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा कि फंड जारी करने में देरी करना बहुत खराब बात है। दिल्ली की जिला अदालतों के प्रति सरकार का लचर रवैया भी ठीक नहीं है। निर्माण परियोजनाओं के लिए करीब ढाई साल पहले मार्च 2021 में ही मंजूरी मिल गई थी, लेकिन अभी तक फंड जारी नहीं हुआ। फिलहाल 232 कोर्टरूम बनाए जाने हैं। चीफ जस्टिस ने कहा कि यह परेशान करने वाली बात है।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने दिल्ली हाईकोर्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस और राज्य सरकार को इस मामले में मीटिंग करके तुरंत इसका निपटारा करने के निर्देश दिया है।