सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ‘फरिश्ते योजना’ को लेकर दिल्ली सरकार की एक याचिका पर उपराज्यपाल वीके सक्सेना से हलफनामा मांगा। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने कहा था कि वह सड़क दुर्घटना पीड़ितों के लिए कैशलेस चिकित्सा उपचार को बढ़ाने वाली ‘फरिश्ते योजना’ में “किसी भी तरह से शामिल नहीं” हैं। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCT) में सेवाओं के नियंत्रण पर केंद्र द्वारा नया कानून लागू होने के बाद दिल्ली सरकार ने परियोजना के लिए उपराज्यपाल पर धन रोकने का आरोप लगाया था। न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने दिल्ली सरकार को आगाह किया कि अगर यह बात सामने आई कि अदालत के साथ खिलवाड़ किया गया है तो वह भारी जुर्माना लगाएगी।
केजरीवाल सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की याचिका
पीठ आप (AAP) सरकार की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें निजी अस्पतालों को बकाया बिल जारी करने और समय पर भुगतान करके योजना को तत्काल फिर से चालू करने; और “चूक करने वाले अधिकारियों”, जिनके बारे में दावा किया गया था कि वे “जानबूझकर योजना में बाधा खड़ी करने के लिए जिम्मेदार थे, के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और निलंबन की कार्यवाही शुरू करने की मांग की गई थी।”
उपराज्यपाल ने फंड में बाधा बनने की बात से किया इनकार
मामले की सुनवाई के दौरान उपराज्यपाल वीके सक्सेना की ओर से पेश सीनियर वकील संजय जैन ने कहा कि यह पूरी तरह से दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय का मामला है। वह किसी भी तरह के फंड में बाधा नहीं है। दिल्ली सरकार ने दिल्ली एलजी पर योजना के लिए भुगतान को रोकने के बारे में शिकायत करते हुए एक याचिका दायर की है।
सुप्रीम कोर्ट ने 8 दिसंबर, 2023 को इस मामले में एलजी को नोटिस जारी किया था। शुक्रवार को इस पर सुनवाई करते हुए, पीठ ने उपराज्यपाल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता संजय जैन से कहा, “आप उपराज्यपाल से कहें कि हर मुद्दे को प्रतिष्ठा का मुद्दा न बनाएं।”
जैन ने तब पीठ से कहा कि “यह याचिका चाय के प्याले में तूफान का एक क्लासिक मामला है क्योंकि इसमें बिना किसी बात के बहुत ज्यादा हंगामा हो रहा।” उन्होंने कहा कि “एलजी किसी भी तरह से शामिल नहीं हैं” और कहा, “यह ऐसा मामला नहीं है जहां मंत्रिपरिषद और एलजी के बीच कोई मुद्दा हो।”
वरिष्ठ वकील ने बताया कि यह दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता वाली एक सोसायटी चलाती है। सोसायटी ने “2 जनवरी को एक बैठक की और धन जारी किया।” कोर्ट ने उनसे 2 हफ्ते के भीतर इस आशय का हलफनामा दाखिल करने को कहा है।