सुप्रीम कोर्ट ने अशोका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर अली खान महमूदाबाद के खिलाफ मामले में निचली अदालत को आरोप पत्र पर संज्ञान लेने से रोक लगा दी है। प्रोफेसर अली खान के खिलाफ आरोप पत्र हरियाणा एसआईटी द्वारा दायर दी गई थी। प्रोफेसर पर दर्ज एफआईआर मामले की बात करें तो ऑपरेशन सिंदूर के दौरान मई महीने में सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर दर्ज की गई थी। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने निचली अदालत को इस मामले में कोई भी आरोप तय करने से भी रोक लगा दी है।

हरियाणा पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को यह बताया कि खान के खिलाफ एक प्राथमिकी में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है और ऑपरेशन सिंदूर से संबंधित सोशल मीडिया पोस्ट के लिए उनके खिलाफ के साथ ही एक अन्य मामले में एक और आरोपपत्र दाखिल किया गया है।

ऑपरेशन सिंदूर को लेकर सोशल मीडिया पर प्रोफेसर अली खान द्वारा किए गए विवादास्पद पोस्ट को लेकर दो एफआईआर दर्ज की गई। इसकी जांच के लिए शीर्ष अदालत द्वारा गठित एसआईटी ने पीठ को सूचित किया कि उनमें से एक में उसने क्लोजर रिपोर्ट दायर कर दी है, जबकि एक में 22 अगस्त को आरोप पत्र दायर किया गया था। रिपोर्ट में पाया गया कि अली खान द्वारा अपराध किए गए हैं।

बीएनए की धारा 152 के तहत देशद्रोह का मामला दर्ज

सुप्रीम कोर्ट में अली खान के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल होने को लेकर सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि अली खान पर बीएनएस की धारा 152 के तहत देशद्रोह का मामला दर्ज किया गया है, जिसकी वैधता को कोर्ट में चुनौती दी गई है।

पीठ ने सिब्बल से आरोपपत्र की समीक्षा करने और कथित अपराधों का चार्ट तैयार करने को कहा और पीठ ने ये भी कहा कि वह अगली सुनवाई पर इन दलीलों पर विचार करेगी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि प्रोफेसर खान के खिलाफ एक प्राथमिकी में क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी गई है और मामले से संबंधित सभी कार्यवाही को रद्द करने का निर्देश दिया गया है।

मुंबई बीजेपी को मिला नया अध्यक्ष, अमीत साटम के सामने बीएमसी है चुनौती

इस केस की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सवाल उठाए थे। पीठ का कहना था कि हरियाणा एसआईटी की जांच इस मामले में गलत दिशा में क्यों चली? पीठ ने तीन सदस्यीय एसआईटी को उसके खिलाफ दर्ज एफआईआर की जांच करने का निर्देश दिया था। बीते 18 मई को हरियाणा पुलिस ने महमूदाबाद के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज करने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया था। एफआईआर में आरोप लगाया गया था कि ऑपरेशन सिंदूर पर अली खान के विवादास्पद सोशल मीडिया पोस्ट ने देश की संप्रभुता और अखंडता को खतरे में डाला।

महिला आयोग ने दर्ज कराई थी एफआईआर

प्रोफेसर खान के खिलाफ दो एफआईआर दर्ज की गई। जिसमें से पहला हरियाणा राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष रेणु भाटिया की शिकायत पर और दूसरी एक गांव के सरपंच की शिकायत पर – सोनीपत जिले में राई पुलिस द्वारा दर्ज की गई थी। बीएनएस धारा 152 (भारत की संप्रभुता या एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य), 353 (सार्वजनिक शरारत के लिए बयान), 79 (किसी महिला की विनम्रता का अपमान करने के उद्देश्य से जानबूझकर की गई कार्रवाई) और 196 (1) (धर्म के आधार पर विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।