देश में कोरोना का प्रकोप बहुत तेजी फैल रहा है। रोजाना यहां लाखों की संख्या में लोग पॉज़िटिव पाये जा रहे हैं। इसको ध्यान में रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इसका स्वत: संज्ञान लिया है और रोजाना हो रही मौतों पर केंद्र से सवाल पूछे। इसपर केंद्र ने जवाब नहीं दिया और वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने खुद को केस से अलग करने की अनुमति मांगी।

मुख्य न्यायाधीश (CJI) एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली अदालत की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने इसपर सुनवाई की। इस दौरान सीजेआई ने कहा कि देश भर में ऑक्सीजन की कमी के कारण लोग मर रहे हैं। इसपर हरीश साल्वे ने खुद को केस से अलग किये जाने का अनुरोध किया। उन्होने उच्चतम न्यायालय में कोविड संबंधित मामले में न्याय मित्र बनाए जाने पर कुछ वकीलों द्वारा आलोचना किए जाने का जिक्र किया।

हरीश साल्वे ने कोविड-19 मामले में न्याय मित्र नियुक्त किए जाने पर कहा “मैं नहीं चाहता कि मामले में फैसले के पीछे यह कहा जाए कि मैं प्रधान न्यायाधीश को जानता हूं।” इसपर उच्चतम न्यायालय ने कहा “हमें भी यह जानकर बहुत तकलीफ हो रही है कि कोविड संबंधित मामले में साल्वे को न्याय मित्र नियुक्त करने पर कुछ वकील क्या कह रहे हैं।”

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कई वर्चुअल मीडिया प्लेटफॉर्म इस मामले में हरीश साल्वे को एमिकस क्यूरी के रूप में नियुक्त करने की प्रक्रिया का दुरुपयोग कर रहे हैं।

उच्चतम न्यायालय ने उसका आदेश पढ़े बिना टिप्पणी करने के लिए कुछ वरिष्ठ वकीलों को फटकार लगाई और कहा कि उसने उच्च न्यायालयों से मामलों को अपने पास नहीं भेजा है।

वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे से कहा “आपने हमारा आदेश पढ़े बिना ही हमपर आरोप लगा दिया है।” उच्चतम न्यायालय ने कहा “हमने एक शब्द भी नहीं कहा है और न ही उच्च न्यायालयों को रोका है, हमने केंद्र से उच्च न्यायालयों का रुख करने और उन्हें रिपोर्ट देने को कहा है।”

उच्चतम न्यायालय ने कोविड-19 वैश्विक महामारी के दौरान सेवाओं एवं आवश्यक आपूर्तियों के वितरण पर स्वत: संज्ञान के मामले में जवाब दायर करने के लिए केंद्र को वक्त दिया। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश बोबडे ने साल्वे को मामले से हटने की अनुमति दी और सुनवाई को गलवार 27 अप्रैल तक के लिए स्थगित कर दिया गया।

बता दें उच्चतम न्यायालय आक्सीजन और जरूरी दवाओं की आपूर्ति के मुद्दे पर केंद्र सरकार से राष्ट्रीय योजना चाहता है। कोर्ट ने आक्सीजन, जरूरी दवाएं, कोरोना टीकाकरण के तौर-तरीके और लाकडाउन लागू करने के अधिकार पर विचार का मन बनाते हुए केंद्र सरकार, सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नोटिस जारी किया है।