Supreme Court News: जम्मू-कश्मीर विधानसभा में उपराज्यपाल की तरफ से 5 विधायक मनोनीत करने के खिलाफ याचिका सुप्रीम कोर्ट में पहुंची। इस याचिका पर सुनवाई करने से सुप्रीम कोर्ट ने साफ इनकार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि पहले हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाएं। जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस पीवी संजय कुमार की बेंच ने कहा कि वह इस मामले पर विचार करने के इच्छुक नहीं है और याचिकाकर्ता को पहले जम्मू-कश्मीर और लद्दाख हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए।
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिकाकर्ता रविंदर कुमार शर्मा की ओर से वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कहा कि बिना चुनाव के नियुक्त किए गए उपराज्यपाल द्वारा इस तरह का फैसला काफी असर डाल सकता है। सिंघवी ने दलील दी कि यह मुद्दा बुनियादी ढांचे का है। अगर एलजी 5 लोगों को मनोनीत करते हैं तो उनकी संख्या 47 हो जाती है। वहीं हम 48 हैं। आपको केवल एक ही व्यक्ति को लाना है।
इस तरह निर्वाचित जनादेश को रद्द किया जा सकता है। संजीव खन्ना ने कहा कि हम इस बारे में जानते हैं। जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि सीधे सुप्रीम कोर्ट इस पर सुनवाई नहीं करेगा। पहले इसे हाई कोर्ट में सुना जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि कई मामलों में जहां हमने पहली बार सुनवाई की तो हमने देखा कि कई चीजें छूट गईं।
एलजी को नॉमिनेट करने का अधिकार?
जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 90 निर्वाचित सदस्य हैं। जम्मू-कश्मीर रिऑर्गनेजाइशन एक्ट 2019 में विस्थापित कश्मीरी लोगों और पीओके के लोगों का प्रतिनिधित्व करने के लिए उपराज्यपाल द्वारा 5 और विधायकों को नॉमिनेट करने का प्रावधान है। इसकी वजह से बहुमत का आंकड़ा 45 से बढ़कर 48 हो गया है। अभी हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में जम्मू-कश्मीर नेशनल कॉन्फ्रेंस, कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के गठबंधन ने विधानसभा में 49 सीटें जीती हैं। इससे 5 सदस्यों के नॉमिनेट के मामले में भी वे बहुमत के 48 के आंकड़े से ऊपर पहुंच गए।
क्या एलजी अपने हिसाब से नॉमिनेट कर सकते हैं?
जम्मू-कश्मीर के पूर्व लॉ सचिव मोहम्मद अशरफ मीर ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत की थी और इस मुद्दे पर बातचीत की। उन्होंने बताया कि जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम एक्ट में प्रावधान है कि कानून से जुड़े मामलों में एलजी मंत्रिमंडल की सलाह पर काम करेंगे। लेकिन इसमें सदस्यों को नॉमिनेट करने के लिए किसी की सलाह लेने की जरूरत नहीं है। इसके मतलब हुआ कि एलजी अपने विवेक के आधार पर ही सदस्यों को नॉमिनेट कर सकते हैं।