सुप्रीम कोर्ट ने ठोस कचरा निस्‍तारण एवं प्रबंधन मामले में नरेंद्र मोदी सरकार को खरी-खोटी सुनाई है। कोर्ट केंद्र की ओर से 845 पेज का हलफनामा पेश करने से भड़क गया। पीठ ने कहा कि वे यहां कूड़ा जमा करने के लिए नहीं बैठे हैं। शीर्ष अदालत ने इसे स्‍वीकार करने से इनकार करते हुए कहा कि सरकार कोर्ट के समक्ष कूड़ा-कर्कट डंप नहीं कर सकती है। जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्‍ता की पीठ ने मंगलवार (6 फरवरी) को इस पर सुनवाई करते हुए कहा, ‘आप करना क्‍या चाह रहे हैं? क्‍या आप मुझे प्रभावित करने की कोशिश कर रहे हैं? मैं इससे खुश नहीं हूं। आप हर चीज हमारे ऊपर लादने की कोशिश कर रहे हैं। अदालत इसे स्‍वीकार नहीं करेगी। आपके पास जो भी कूड़ा था, आपने उसे हमारे सामने डंप कर दिया। हमलोग कूड़ा जमा करने वाले नहीं हैं। आप इसको लेकर पूरी तरह से स्‍पष्‍ट रहें।’ पीठ ने केंद्र सरकार को तीन सप्‍ताह के अंदर सभी राज्‍यों और केंद्र शासित प्रदेशों द्वारा ठोस कचरा प्रबंधन नियम, 2016 के प्रावधानों के अनुरूप राज्‍यस्‍तरीय एडवायजरी बोर्ड गठित करने के बारे में जानकारी देने को कहा है। कोर्ट ने इससे जुड़ा ब्‍यौरा चार्ट फॉर्मेट में पेश करने को कहा है। अदालत ने इसके अलावा बोर्ड गठित करने की तिथि, इसके सदस्‍यों और बैठकों का ब्‍यौरा (यदि हुई हो तो) के बारे में भी विस्‍तृत सूचना देने को कहा है।

सुनवाई के दौरान केंद्र की ओर से पेश वकील ने पीठ को 845 पेज का हलफनामा दाखिल करने की जानकारी दी। कोर्ट ने इसके बाद कुछ सवाल पूछे जिसका वह जवाब नहीं दे सके। उन्‍होंने 22 राज्‍यों द्वारा एडवायजरी बोर्ड गठित करने और आंकड़े उपलब्‍ध होने की बात कही थी। इस पर पीठ ने तल्‍ख टिप्‍पणी की। कोर्ट ने कहा, ‘यदि हलफनामे में कुछ नहीं है तो उसे दाखिल करने का कोई मतलब नहीं है। कोर्ट इसे ऑन रिकॉर्ड नहीं ले सकता है। आपने (केंद्र की ओर से पेश वकील) खुद इसे पढ़ा नहीं है और आप चाहते हैं कि हमलोग इसे पढ़ें।’ सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 12 दिसंबर को केंद्र को ठोस कचरा प्रबंधन के लिए राज्‍यों और केंद्र प्रशासित क्षेत्रों द्वारा उठाए गए कदम के बारे में जानकारी देने को कहा था।

स्‍वत: संज्ञान लेकर शुरू की सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट ने ठोस कचरा निस्‍तारण के उचित उपायों के अभाव में विभिन्‍न तरह की बीमारियों से होने वाली मौतों पर गंभीर चिंता जताई थी। कोर्ट ने वर्ष 2016 के नियमों का हवाला देते हुए कहा था कि कचरा निस्‍तारण और उसके प्रबंधन की जिम्‍मेदारी पर्यावरण एवं वन और शहरी विकास जैसे मंत्रालयों की है। शीर्ष अदालत ने वर्ष 2015 में डेंगू के कारण एक सात वर्षीय बच्‍चे की मौत के बाद कचरा निस्‍तारण को लेकर स्‍वत: संज्ञान लेकर सुनवाई शुरू की थी। देश के कई हिस्‍सों में डेंगू और चिकुनगुनिया के कारण हर साल दर्जनों लोगों को जान गंवानी पड़ती है।