गुजरात के कोविड अस्पताल में आग लगने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को जमकर फटकार लगाई है। दरअसल गुजरात सरकार ने एक अधिसूचना जारी कर कहा था कि जिन अस्पतालों के पास भवन उपयोग की अनुमति नहीं है उनपर कार्रवाई नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिसूचना पर रोक ला दी है। आग लगने की घटनाओं पर नाराजगी जाहिर करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार का कर्तव्य कोरोना से लोगों का बचाना है और यह आग लगाकर मार देना चाहती है।
सुप्रीम कोर्ट ने अस्पतालों में आग लगने की घटनाओं को मानवीय त्रासदी बताया है। बता दें कि गुजरात सरकार ने 8 जुलाई को जारी अधिसूचना में कहा था कि जिन अस्पतालों के पास भवन उपयोग की परमिशन नहीं है उनपर अगले साल मार्च तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार का यह नोटिफिकेशन लोगों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है।
बता दें कि पिछले साल अगस्त में अहमदाबाद के श्रेय हॉस्पिटल में आठ कोरोना मरीजों की आग लगने की वजह से जान चली गई थी। नवंबर में राजकोट के उदय शिवानंद अस्पताल में 6 लोगों को आग ने निकल लिया था। पुलिस ने बताया था कि आग आईसीयू से लगी थी। इसके बाद मई के महीने में भरूच के अस्पातल में आग लगने की वजह से 18 कोरोना मरीजों की जान चली गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने इन आग लगने की घटनाओं के बाद पूरे भारत में फायर सेफ्टी ऑडिट का आदेश दिया था। जज ने कहा, ‘ऐसे-ऐसे अस्पताल हैं जो कि पिछले 30 साल से चल रहे हैं और उनके पास फायर सेफ्टी के उपाय नहीं है। उसपर भी सरकार उन्हें छूट देना चाहती है।’ गुजरात सरकार के वकील से जस्टिस एमआर शाह ने कहा, ‘आपने आईसीयू की हालत देखी है? मैं ऐसी स्थिति में कुछ कहना नहीं चाहता लेकिन अगर आईसीएमआर के नियमों का पालन किया जाए तो 80 फीसदी आईसीयू बंद करने पड़ेंगे।’
जस्टिस चंद्रचूड़ ने भी जोर देते हुए कहा कि सरकार को ऐसी अवैध इमारतों में अस्पताल को अनुमति नहीं देनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘अगर ऐसी असुरक्षित इमारतों में भी अस्पताल को परमिशन दी जाती है तो यह लोगों की जान के साथ खिलवाड़ है। ऐसे नर्सिंग होम नहीं चल सकते जो पांच मंजिल के हों और उनमें ठीक से लिफ्ट भी न लगी हो। निकलने की जगह न हो। अगह हम ढील देंगे तो आप इसी तरह से काम करते रहेंगे।’
पीड़ितों की तरफ से पेश हुए वकील ने कहा कि इन अस्पतालों ने करोड़ों बनाए हैं। क्या उन लोगों को जिनकी जान चली गई है, कोई मुआवजा दिया जाएगा? कोर्ट ने कहा कि इसपर बाद में फैसला होगा।