पराली जलाने से दिल्ली-एनसीआर समेत कई राज्यों में पनपी प्रदूषण की समस्या पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार (06 नवंबर) को तीन राज्यों के चीफ सेक्रेटरी को हड़काया और पंजाब के मुख्य सचिव को चेतावनी दी कि किसानों को तुरंत मुआवजा दो वर्ना यहीं सस्पेंड कर दूंगा। मामले में कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिवों को आदेश दिया कि सात दिनों के अंदर उन किसानों को प्रति क्विंटल 100 रुपये की दर से बतौर इंशेंटिव भुगतान करे, जिन्होंने पराली नहीं जलाई है। जस्टिस अरुण मिश्रा और जस्टिस दीपक गुप्ता की खंडपीठ ने राज्यों को यह भी आदेश दिया कि पराली की समस्या से मिपटने के लिए छोटे और सीमांत किसानों को मुफ्त में मशीन उपलब्ध करवाए।

जब पंजाब के मुख्य सचिव करण अवतार सिंह ने कहा कि राज्य “बड़े राजकोषीय तनाव” से गुजर रहा था और किसानों को प्रोत्साहित करने में असमर्थ था, तो जस्टिस मिश्रा ने कहा: “तब आपको कुर्सी छोड़नी होगी। यदि आप पैसे नहीं दे सकते, तो आपको शासन करने का कोई अधिकार नहीं है।”

सुनवाई को दौरान एक अन्य बिंदु पर, जस्टिस मिश्रा ने पंजाब के मुख्य सचिव से कहा, “यदि आप लोगों की अपेक्षाओं को पूरा नहीं कर सकते हैं, तो आप जाइए” और बाद में चेतावनी दी कि पीठ उन्हें ऑन स्पॉट सस्पेंड कर देगी। कोर्ट ने कहा, “आप एक आइवरी टॉवर से शासन करना चाहते हैं और लोगों को मरने के लिए छोड़ देना चाहते हैं। आप भी इंसान हैं और अगर चीजें इस तरह से चलती रहीं तो आप भी किसी दिन मर जाएंगे।”

सुप्रीम कोर्ट ने इसी तरह से दिल्ली के मुख्य सचिव विजय कुमार देव को भी हड़काया। जज ने कहा, “अगर आपने भी प्रदूषण से निपटने के ठोस उपाय नहीं किए तो आपके भी सुपर बॉस को हम नहीं छोड़ने जा रहे हैं।” दो सदस्यीय खंडपीठ ने कहा, ‘‘कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है और यह सरकार का कर्तव्य है कि वह किसानों के हितों की देखभाल करे।’’

पीठ ने कहा कि यह बहुत आवश्यक है कि पराली को जलाने से रोकने के लिये किसानों को मशीनें उपलब्ध करायी जायें। पीठ ने केन्द्र और पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली सरकारों को निर्देश दिया कि वे पर्यावरण संबंधी मुद्दों का ध्यान रखने के लिये तीन महीने के भीतर विस्तृत योजना तैयार करें। जजों ने कहा, ‘‘यह शर्मनाक स्थिति है कि देश की राष्ट्रीय राजधानी में कच्चे रास्ते और सड़कों पर गड्ढे हैं।’’