किसान आंदोलन से जुड़े मामलों पर सोमवार को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को जमकर फटकार लगायी। अदालत ने तो केंद्र सरकार को यहाँ तक कह दिया कि आपने बिना राय मशविरा लिए हुए एक ऐसा कानून बना दिया है जिसकी वजह से यह विरोध प्रदर्शन हो रहा है। कोर्ट ने यह भी कहा कि सरकार इस मामले को अच्छी तरह से हैंडल नहीं कर पा रही है इसलिए हमें ही कुछ करना होगा। सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में मौजूद रहे एक रिपोर्टर ने बताया कि मैंने आज तक इतना बिफरा हुआ और गुस्से में कभी CJI को नहीं देखा।

सोमवार को किसानों के मुद्दे पर सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एस ए बोबडे केंद्र सरकार से अच्छे खासे नाराज़ नजर आए। सुनवाई के दौरान कोर्ट रूम में मौजूद रहे न्यूज़ 24 के पत्रकार प्रभाकर मिश्रा ने अंदर का आँखों देखा हाल बताया. प्रभाकर मिश्रा ने कहा कि मैंने हाल के दिनों में कभी भी चीफ जस्टिस को इतना गुस्से में नहीं देखा जितना वे आज नजर आ रहे थे। प्रभाकर ने आगे कहा कि इस दौरान सरकार की सारी ग़लतियों का ठीकरा 80 वर्ष से ज्यादा उम्र के अटोर्नी जनरल के के वेणुगोपाल पर फूटा।

न्यूज़ 24 के संवाददाता प्रभाकर मिश्रा ने आगे बताया कि कोर्ट में हुई सुनवाई के बारे में दौरान चीफ जस्टिस बोले  “हमने आपको कहा था कि जब तक इस मामले का समाधान नहीं हो जाता है तब तक कृषि कानून पर रोक लगा दिया जाए”। लेकिन आप लोग नहीं माने। आप बार बार यह कह रहे हैं कि हम बातचीत कर रहे हैं, बैठकें कर रहे हैं । लेकिन इसके बावजूद भी कोई हल नहीं निकल रहा है। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर आंदोलन में कोई हिंसा भड़क जाती है तो यह किसकी ज़िम्मेदारी होगी। आगे कोर्ट ने कहा कि आंदोलन में कुछ भी गलत होने पर ज़िम्मेदारी हम सब की होगी।

 

इसके अलावा चीफ जस्टिस एस ए बोबडे ने मीडिया का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा कि हमें मीडिया से पता चला कि आंदोलन और सारे विवाद की जड़ ये तीनों कृषि कानून ही हैं लेकिन इसके बाद भी सरकार ने इस पर कोई एक्शन क्यों नहीं लिया। चीफ जस्टिस के इस सवाल का कोई भी जवाब अटोर्नी जनरल के के वेणुगोपाल के पास नहीं था।

हालाँकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक कमेटी बनाने का भी प्रस्ताव रखा है।  साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर केंद्र सरकार इन कृषि क़ानूनों के अमल को नहीं रोकना चाहती है तो हम इनपर रोक लगा देंगे।