मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में SIR के मामले पर सुनवाई हुई। सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों में BLOs को धमकाने व SIR कार्य में बाधा उत्पन्न करने के मामले को गंभीरता से लिया। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से वोटर लिस्ट के विशेष गहन पुनरीक्षण कार्य में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा सहयोग न करने को गंभीरता से लेने को कहा।
सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कहा कि सहयोग की कमी और BLOs को धमकाने के मामले उनके संज्ञान में लाएं; वह आदेश पारित करेंगे। सुप्रीम कोर्ट ने कुछ राज्य सरकारों द्वारा SIR में सहयोग न करने पर चुनाव आयोग से कहा, “स्थिति से निपटें अन्यथा अराजकता फैल जाएगी।”
सुनवाई के दौरान चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि अगर स्थिति बिगड़ती है तो पुलिस को प्रतिनियुक्ति पर तैनात करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। चुनाव आयोग ने कहा कि उसके पास SIR कार्य में लगे बीएलओ और अन्य अधिकारियों को धमकाए जाने के मामलों से निपटने के लिए सभी संवैधानिक शक्तियां हैं।
‘स्थिति से निपटें, नहीं तो अराजकता फैल जाएगी’
न्यूज एजेंसी भाषा की रिपोर्ट के अनुसार, CJI सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाल्या बागची की पीठ ने आयोग से मतदाता सूची की SIR के कार्य में विभिन्न राज्य सरकारों द्वारा सहयोग की कमी को गंभीरता से लेने को कहा।
बेंच ने आयोग की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी से कहा,”बीएलओ के काम में सहयोग की कमी और बाधाओं के मामले हमारे संज्ञान में लाएं, हम उचित आदेश पारित करेंगे।”
राकेश द्विवेदी ने कहा कि अगर स्थिति बिगड़ती है तो आयोग के पास राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में आने वाली पुलिस को अपने अधीन करने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा। जस्टिस बागची ने कहा कि आयोग चुनाव प्रक्रिया शुरू होने तक पुलिस को अपने अधिकार क्षेत्र में नहीं ले सकता।
राकेश द्विवेदी द्विवेदी ने कहा कि आयोग के पास बीएलओ और एसआईआर कार्य में जुटे अन्य अधिकारियों को धमकाने की घटनाओं से निपटने के लिए सभी संवैधानिक अधिकार हैं।
जस्टिस कांत ने द्विवेदी से कहा, “स्थिति से निपटें, नहीं तो अराजकता फैल जाएगी।” उन्होंने स्थिति को “बेहद गंभीर” बताया।
द्विवेदी ने कहा कि पश्चिम बंगाल में तनाव के कारण बीएलओ द्वारा आत्महत्या करने का कोई सवाल ही नहीं उठता क्योंकि उन्हें 30-35 मतदाताओं वाले छह-सात घरों की गणना का काम करना होता है।
जस्टिस बागची ने कहा कि यह बैठा-बिठाया काम नहीं है और बीएलओ को घर-घर जाकर गणना फॉर्म भरना होता है और फिर उसे अपलोड करना होता है। जस्टिस बागची ने कहा, “यह जितना दिखता है, उतना आसान नहीं है।”
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