ठेके पर बहाल होने वाले कर्मचारियों के लिए बड़ी खुशखबरी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक अहम आदेश में कहा है कि अब ठेके पर बहाल होने वाले कर्मचारियों को भी Employees’ Provident Funds का फायदा मिलेगा। जस्टिस यूयू ललित और इंदू मल्होत्रा की एक बेंच ने कहा कि ईपीएफ एक्ट की धारा Section 2(f) में कर्मचारी की परिभाषा दी गई है। इसके मुताबिक एक ‘कर्मचारी’ की परिभाषा एक समावेशी परिभाषा है, और व्यापक रूप से किसी भी व्यक्ति को सीधे या अप्रत्यक्ष रूप से एक प्रतिष्ठान के काम के सिलसिले में और मज़दूरी का भुगतान करने को शामिल करने के लिए कहा गया है। ‘सुप्रीम’ अदालत ने कहा कि उत्तरदाता यूनियन के सदस्य और अन्य सभी समान रूप से स्थित ठेका कर्मचारी, पीएफ ट्रस्ट विनियम या ईपीएफ अधिनियम के तहत भविष्य निधि के लाभ के हकदार हैं।

दरअसल पवन हंस लिमिटेड नाम की एक कंपनी ने अपने 840 कर्मचारियों में से 570 कर्मचारियों को रेगुलर बेसिस पर जबकि 270 कर्मचारियों को संविदा के आधार पर नियुक्त कर रखा था। कंपनी ने संविदा के आधार पर रखे गए कर्मचारियों को ईपीएफ का फायदा देने से इनकार किया था। जिसके बाद एक ट्रेड यूनियन ने उच्च न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी। उस याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने माना था कि ईपीएफ अधिनियम के तहत लाभ यूनियन के सदस्यों और अन्य समान रूप से नियुक्त कर्मचारियों के लिए बढ़ाया जाना चाहिए। यह माना गया था कि अनुबंधित कर्मचारियों को सामाजिक सुरक्षा लाभ प्रदान करने में एक उदार दृष्टिकोण लिया जाना चाहिए।

कंपनी की तरफ से उच्च न्यायालय के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी। कंपनी की तरफ से कहा गया था कि संविदा के आधार पर नियुक्त कर्मचारियों को ईपीएफ अधिनियम और ईपीएफ योजना के प्रावधानों से बाहर रखा जाना चाहिए। लेकिन याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि PF Trust regulations कंपनी के सभी कर्मचारियों पर लागू होता है। इसके तहत यूनियन से सीधे जुड़े सदस्य या इन्हीं की तरह संविदा कर्मचारी पीएफ का लाभ लेने के योग्य हैं। अदालत ने साफ किया कि कंपनी को सालाना 12 प्रतिशत साधारण ब्याज के साथ जनवरी 2017 से दिसंबर 2019 तक पीएफ कॉन्ट्रिब्यूशन करना होगा।