सरकार की कल्याणकारी योजनाओं में आधार की अनिवार्यता पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने आदेश सुनाया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार अपनी कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने के लिए आधार को अनिवार्य नहीं बना सकती है। कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर ने कहा, “आधार सामाजिक कल्याण योजनाओं के लिए अनिवार्य नहीं है, लेकिन नॉन बेनिफिट (गैर-लाभकारी) योजनाओं के लिए इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आधार को जनहित स्कीम्स के लिए अनिवार्य नहीं किया जा सकता है। हमारा पिछला आदेश पूरी तरह से स्पष्ट था। गैर लाभकारी (जैसे- इनकम टैक्स, बैंक खाता खुलवाने) योजनाओं में आधार कार्ड को अनिवार्य किए जाने से सरकार को रोका नहीं जा सकता है। आधार को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए सात सदस्यीय पीठ के गठन पर उन्होंने कहा कि फिलहाल यह संभंव नहीं है। इस मुद्दे पर समय के साथ सुनवाई की जाएगी।
हाल ही में सरकार ने 12 अंकों वाले आधार नंबर को बच्चों के लिए मिड डे मिल समेत करीब एक दर्जन योजनाओं के लिए अनिवार्य करने का फैसला किया था। इसमें स्टूडेंट्स को मिलने वाली स्कॉलरशिप भी शामिल थी, जिसमें बाद में छूट देने का फैसला किया गया। इसके अलावा पिछड़ी जाति और विकलांगों की योजनाओं के लिए भी आधार कार्ड जरुरी है। सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के आदेश में भी कहा था कि लाभकारी योजनाओं के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं किया जा सकता है।
दरअसल, याचिका कर्ता ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक आधार कार्ड को अनिवार्य नहीं किया जा सकता है, लेकिन अब केंद्र सरकार इनकम टैक्स से जुड़ी योजनाओं में आधार कार्ड मांग रही है, जो सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का उल्लंघन है।
Supreme Court refused to give any date on the issue of making Aadhar mandatory, and said that it would hear the matter in due course of time
— ANI (@ANI) March 27, 2017
SC bench said the earlier interim order had not been violated since Aadhaar is not mandatory for getting various social welfare schemes
— ANI (@ANI) March 27, 2017
बिना आधार नहीं बन सकेगा डीएल!
ड्राइविंग लाइसेंस (डीएल) बनवाने के लिए या फिर डीएल को रीन्यू करने के लिए भी आधार कार्ड देना अनिवार्य किया जा सकता है। एक ही नाम से कई लाइसेंस बनाने पर लगाम लगाने के लिए केंद्र सरकार राज्यों से नई डीएल और पुराने डीएल के रीन्यूवल में आधार से पहचान अनिवार्य करने को कहेगा। सरकार को उम्मीद है कि इससे फर्जी डीएल बनाने के खेल को रोके जाने में मदद मिलेगी। आधार नंबर में मौजूद बॉयोमेट्रिक डिटेल्स के कारण इस तरह के मामले में रोका जा सकता है। टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस साल अक्टूबर से यह नियम लागू हो सकता है।