सुप्रीम कोर्ट में जमादार के तौर पर काम करने वाले कर्मचारियों के पद का नाम बदलकर सुपरवाइजर कर दिया गया है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के कर्मचारियों से जुड़े नियमों में बदलाव किया गया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डी वाई चंद्रचूड़ ने अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए नियम में बदलाव किए हैं। खास बात ये है कि फर्श और सफाईवाला श्रेणी में काम करने वाले कर्मचारियों पर यह नियम लागू होगा।
मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ ने संविधान के अनुच्छेद 146 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए सुप्रीम कोर्ट के ऑफिसर्स एंड सर्वेंट (कंडिशंस ऑफ सर्विस एंड कंडक्ट) नियम 1961 को संशोधित किया। शनिवार को इस संबंध में एक अधिसूचना जारी की गई थी।
जमादार एक औपनिवेशिक युग का शब्द है जिसका उपयोग आमतौर पर कार्यालय परिसर में झाडू लगाने वाले कर्मचारी के लिए किया जाता है।
क्या है संविधान का अनुच्छेद 146
संविधान के अनुच्छेद 146 के तहत विशेष शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया या सुप्रीम कोर्ट के अन्य जज या अधिकारी अदालत में होने वाली नियुक्तियों को लेकर फैसला ले सकते हैं। हालांकि, इस फैसले से राष्ट्रपति के अधिकारों का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता का अनुरोध शहरी संभ्रांतवादी विचारों का परिचायक: केंद्र
केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह को कानून मान्यता देने का विरोध किया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि समलैंगिक विवाह को मान्यता देने का अनुरोध करने वाली याचिकाएं शहरी संभ्रांतवादी विचारों को प्रतिबिंबित करती हैं और विवाह को मान्यता देना अनिवार्य रूप से एक विधायी कार्य है, जिस पर अदालतों को फैसला करने से बचना चाहिए। केंद्र ने याचिकाओं के विचारणीय होने पर सवाल करते हुए कहा कि इस अदालत के सामने जो याचिकाएं पेश की गई हैं, वह सामाजिक स्वीकृति के उद्देश्य से मात्र शहरी संभ्रांतवादी विचार हैं।
केंद्र सरकार ने समलैंगिक विवाह की कानूनी वैधता का अनुरोध करने वाली याचिकाओं के एक समूह के जवाब में अर्जी दायर की है। इसमें कहा गया है कि विवाह एक सामाजिक-वैधानिक संस्था है, जिसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 246 के तहत एक अधिनियम के माध्यम से केवल सक्षम विधायिका द्वारा बनाया जा सकता है, मान्यता दी जा सकती है, कानूनी वैधता प्रदान की जा सकती है और विनियमित किया जा सकता है।