उच्चतम न्यायालय ने फिल्म ‘एन इनसिग्नीफिकेंट मैन’ के देशभर में प्रदर्शन पर रोक की मांग वाली एक याचिका गुरुवार को खारिज कर दी। याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि फिल्म दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के जीवन पर आधारित है। फिल्म शुक्रवार को रिलीज होनी है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्र के नेतृत्व वाली एक पीठ ने कहा कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अलंघनीय है और इसमें सामान्य तौर पर हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। पीठ ने एक व्यक्ति की ओर से दायर अर्जी खारिज कर दी जिसमें न्यायमूर्ति ए एम खानविल्कर और न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड भी शामिल थे।

याचिका नचिकेता वाल्हेकर ने दायर की थी जिन्होंने 2013 में केजरीवाल पर कथित रुप से स्याही फेंकी थी। याचिकाकर्ता के वकील ने आरोप लगाया कि उन्हें इसमें मामले के एक दोषी के तौर पर दिखाया गया है जबकि तथ्य यह है कि मामले की सुनवाई दिल्ली की एक अदालत के समक्ष अभी भी लंबित है। वकील ने दावा किया कि फिल्म ने याचिकाकर्ता की छवि धूमिल की है और अदालत को फिल्म निर्माताओं को निर्देश देना चाहिए कि वे एक उद्घोषणा दें कि स्याही फेंकने के मामले की सुनवाई अभी लंबित है।

पीठ ने यद्यपि सेंसर बोर्ड को फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने का निर्देश देने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा, अदालतों को ऐसी स्थितियों में किसी तरह का आदेश पारित करने में अत्यंत सचेत रहना चाहिए और एक रचनात्मक व्यक्ति को कोई नाटक, दर्शन या किसी तरह की पुस्तक लिखने या उसे सेलुलायड या थिएटर में पेश करने देना चाहिए। पीठ ने कहा, यह उल्लेख करना उपयुक्त है कि बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अलंघनीय है और इस अधिकार में सामान्य तौर पर हस्तक्षेप नहीं किया जाना चाहिए।