सुप्रीम कोर्ट ने शंभू बॉर्डर खोलने वाली याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पहले से ही याचिका दाखिल की गई है। बार-बार एक जैसी याचिका दाखिल की जा रही हैं। कोर्ट ने सख्त लहजे में पूछा कि बार बार एक जैसी याचिका दाखिल क्यों की जा रही हैं। कोर्ट ने कहा कि वह पहले से लंबित याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की पीठ से किसानों को हाईवे से हटाने का निर्देश देने की मांग वाली याचिका कर दी।

याचिका में क्या की गई मांग

सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दाखिल कर शंभू बॉर्डर समेत हाईवे को खोलने के लिए केंद्र, पंजाब और हरियाणा सरकार को निर्देश देने की मांग की गई थी। याचिका में कहा गया कि हाईवे बंद कर प्रदर्शन करना लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन है। याचिका में यह भी कहा गया कि यह नेशनल हाइवे एक्ट और BNS के तहत भी अपराध है। इस पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि ऐसा लगता है कि कोई ये मुकदमेबाजी प्रचार के लिए हो रही है।

फरवरी से शंभू बॉर्डर पर बैठे हैं किसान

बता दें कि शंभू बॉर्डर पर फरवरी से ही किसान धरने पर बैठे हैं। पुलिस ने किसानों को बॉर्डर पर रोक दिया है जिससे वह दिल्ली कूच ना कर पाएं। 2020 में किसानों ने आंदोलन किया था। तब दिल्ली में हिंसा भी देखने को मिली थी। किसान लालकिले तक पहुंच गए थे। किसानों के विरोध प्रदर्शन को देखते हुए तीन कृषि कानूनों को रद्द करना पड़ा था। रविवार को एक बार फिर पुलिस और सुरक्षा बलों की टीम ने दिल्ली कूच को रोक दिया।

दूसरी तरफ किसान नेता सरवन सिंह पंढेर ने दिल्ली कूच को लेकर हरियाणा सरकार और केंद्र पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि शंभू बॉर्डर पर आंदोलन के 302 दिन पूरे हो चुके हैं। सरकार उलझन में है कि किसानों के मामले में उसे क्या करना है। उन्होंने कहा कि दिल्ली जाने के कई रास्ते हैं। किसानों को दिल्ली जाने की अनुमति क्यों नहीं हैं। पंढेर ने कहा कि किसान कल मार्च नहीं करेंगे। इस संबंध में फैसला जगजीत सिंह दल्लेवाल से मिलने के बाद लिया जाएगा।