सुप्रीम कोर्ट ने ‘‘प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष’’ (पीएम-केयर्स फंड) की जानकारी सार्वजनिक करने को लेकर दायर की गई एक याचिका को खारिज कर दिया है। बता दें कि इस याचिका के जरिए मांग की गई थी इस फंड को भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक से इसका ऑडिट कराया जाये।

अब सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को इस याचिका को खारिज करते हुए सुनवाई से इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति बी. आर. गवई की पीठ ने इस संबंध में याचिकाकर्ता से इलाहाबाद उच्च न्यायालय जाने की बात कही है। उच्चतम न्यायालय ने मामले में समीक्षा याचिका दायर करने को कहा है।

बता दें कि याचिकाकर्ता की तरफ से दलील देते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता देवदत्त कामत ने अदालत में कहा कि रिट याचिका में उठाए गए सभी मुद्दों पर हाईकोर्ट ने विचार नहीं किया। इसपर पीठ ने कहा, ”हो सकता है कि आपकी यह बात सही हो कि उच्च न्यायालय द्वारा सभी मुद्दों पर विचार नहीं किया गया। इसकी हमें जानकारी नहीं है कि आपने वहां क्या तर्क दिया था। आप वहां जाएं और समीक्षा याचिका दायर करें।”

गौरतलब है कि उच्च न्यायालय ने 18 अगस्त 2020 के शीर्ष अदालत के फैसले को आधार मानते हुए जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। दरअसल शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में केंद्र को COVID-19 महामारी से लड़ने के लिए PM CARES फंड में किए गए योगदान को राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया कोष (NDRF) में स्थानांतरित करने का निर्देश देने से इनकार कर दिया था। अदालत ने कहा था कि दोनों अलग-अलग उद्देश्य के साथ पूरी तरह से अलग फंड हैं।

बता दें कि पिछले साल सितंबर में एक सुनवाई के दौरान दिल्ली हाई कोर्ट में दाखिल किये गये हलफनामे में कहा गया था कि पीएम नागरिक सहायता और आपात राहत कोष ‘पीएम केयर्स’ भारत सरकार का फंड नहीं है और इसमें आई धनराशि भारत की संचित निधि में भी नहीं आती।

दरअसल इस फंड को लेकर विपक्ष लगातार निशाना साधता रहा है। इस फंड के ऑडिट ना होने को लेकर विपक्ष मुद्दा बनाता रहा है।