सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर मामले पर जल्‍दी सुनवाई करने से इनकार कर दिया है। अदालत दोनों पक्षकारों को और समय देना चाहती है। अदालत ने जल्‍द सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि वह पक्षकारों को ‘विमर्श के लिए और समय देना चाहता है।’ सुप्रीम कोर्ट ने सुब्रमण्‍यम स्‍वामी की याचिका पर जल्‍द सुनवाई से इनकार करते हुए कहा कि ”हम नहीं जानते थे कि इस मामले में आप भी एक पक्ष हैं।” सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने स्‍वामी से पूछा कि ”मामले में आप किस अधिकार से अदालत के समक्ष उपस्थित हुए हैं? हमारे पास अभी आपको सुनने के लिए समय नहीं है।” दूसरी तरफ, स्‍वामी ने ट्वीट कर कहा कि वह जल्‍द ही दूसरा रास्‍ता अख्तियार करेंगे। उन्‍होंने लिखा, ”जजों ने कहा कि उनके पास समय नहीं है और मामले को स्‍थगित कर दिया। दूसरे शब्‍दों में कहूं तो जो फैसला टालना चाहते थे, वे सफल हो गए। मैं जल्‍द दूसरा रास्‍ता निकालूंगा।”  कुछ दिन पहले ही शीर्ष अदालत ने अयोध्‍या विवाद में मध्‍यस्‍थता की पेशकश करते हुए दोनों पक्षों से आपसी बातचीत के जरिए रास्‍ता निकालने को कहा था।

सुप्रीम कोर्ट ने 21 मार्च को कहा था कि राम मंदिर को लेकर सभी पक्ष कोर्ट के बाहर मामला सुलझा लें तो ठीक रहेगा। चीफ जस्टिस ने कहा था, “यह धर्म और आस्था से जुड़ा मामला है इसलिए इसको कोर्ट के बाहर सुलझा लेना चाहिए। कोर्ट ने इसपर सभी पक्षों को आपस में बैठकर बातचीत करने के लिए कहा।” सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का स्‍वागत करते हुए यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने कहा था कि ‘यह अच्छा होगा कि दोनों पक्ष बैठकर इसका हल निकाल लें।’ योगी ने कहा कि यूपी सरकार इस मामले में हरसंभव मदद के लिए तैयार है।

हालांकि बाबरी मस्जिद कमेटी ने सीजीआई खेहर की बात मानने से इंकार कर दिया था। कमेटी के ज्वॉइंट कंवीनर डॉ एसक्यूआर इलयास ने कहा, ‘हम लोगों को सीजीआई की बात मंजूर नहीं है। इलाहबाद हाई कोर्ट पहले ही अपना निर्णय दे चुका है। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड को लगता है कि बातचीत का वक्त अब खत्म हो चुका है।’ उन्होंने बाबरी मस्जिद कमेटी और विश्व हिंदू परिषद के बीच हुई पिछली बातचीत का भी जिक्र किया जो कि किसी फैसले पर नहीं पहुंची थी।