एक जैसे नाम वाले उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में दाखिल एक जनहित याचिका में बड़ा फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि अगर किसी के माता-पिता ने किसी से मिलता-जुलता नाम रख दिया तो,क्या वह चुनाव में खड़ा नहीं होगा। सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान पूछा कि अगर किसी माता-पिता ने अपने बच्चे का नाम राहुल गांधी या लालू प्रसाद यादव रख दिया तो फिर वह चुनाव कैसे लड़ेगा? ये तो भाग्य की बात है।
याचिकाकर्ता साबु स्टीफेंस ने सुप्रीम कोर्ट के वकील वी.के. बिजु के माध्यम से सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने हमनाम (एक जैसे नाम वाले) उम्मीदवारों को चुनाव लड़ने से रोक लगाने के लिये चुनाव आयोग को निर्देशित करने हेतु अपनी मांगें रखीं ताकि चुनाव के दौरान मतदाताओं को मिलते-जुलते नामों से असमंजस की स्थिति का सामना ना करना पड़े। इस दौरान याचिकाकर्ता ने ज़िक्र किया कि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री ओ. पनीरसेल्वम के विधानसभा चुनाव के दौरान मतदाताओं को गुमराह करने के लिए विपक्षी दलो के द्वारा ओ. पनीरसेल्वम के नाम से चार हमनाम उम्मीदवार को खड़ा किया गया था।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता ने कहा कि ऐसा नहीं है कि सारे हमनाम उम्मीदवार ही फर्जी होते हैं या उन्हें चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं हैं, लेकिन हमनाम उम्मीदवारों के फर्जीवाड़े से निपटने के लिए एक प्रभावी जांच और उचित तंत्र की व्यवस्था होनी चाहिए। हमनाम उम्मीदवारों के इस तरह की समस्याओं से निपटने के लिए चुनाव आयोग को उचित कदम उठाने की जरूरत है।
लोकतंत्र में प्रत्येक मतदाता एवं वोट का अधिकार है कि वह उम्मीदवारों एवं लोकतंत्र का भविष्य तय करें। मतदाताओं को गुमराह करने की पुरानी प्रथा का प्रयोग करते हुए जनता को गुमराह किया जा रहा है इसलिए इस तरह कि प्रथा पर अंकुश लगाना बहुत जरूरी है। याचिकाकर्ता ने इस दौरान लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम-1951 और चुनाव संचालन नियम-1961 में भी संबंधित सुधार लाने की भी मांग की।