सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने मद्रास हाई कोर्ट (Madras High Court) की एडीशनल जज के रूप से एल विक्टोरिया गौरी (Victoria Gowri) की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका खारिज कर दी है। जस्टिस संजीव खन्ना और बीआर गवई की पीठ ने कहा कि याचिका में उठाया गया मुद्दा गौरी की योग्यता से संबंधित नहीं है, बल्कि उसकी उपयुक्तता से संबंधित है। पीठ ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट इसकी जांच नहीं कर पाएगा। जस्टिस खन्ना ने कहा कि पात्रता और उपयुक्तता के बीच अंतर है। कोर्ट ने आगे कहा कि कॉलेजियम ने गौरी के खिलाफ सभी चीजों पर विचार किया होगा और कोर्ट कॉलेजियम के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करेगी।

क्या है मामला?

सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट में एडिशनल जज बनाने की सिफारिश की थी। केंद्र सरकार ने इस सिफारिश को मंजूर कर लिया था। इस फैसले के बाद ही विक्टोरिया गौरी को एडिशनल जज बनाए जाने का विरोध शुरू हो गया था। मद्रास हाईकोर्ट के कुछ लोगों ने विक्टोरिया गौरी पर बीजेपी से जुड़े होने का आरोप लगाया।

याचिका में लगाया गया ये आरोप

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिका में विक्टोरिया गौरी पर एक अपुष्ट अकाउंट से 2019 में किए गए ट्वीट का भी हवाला दिया था और दावा किया था कि विक्टोरिया गौरी भाजपा महिला मोर्चा की राष्ट्रीय महासचिव रही हैं। इस हैंडल से 31 अगस्त, 2019 को पोस्ट किया गया कि मैं अभी-अभी बीजेपी में शामिल हुआ हूं, आप भी बीजेपी में शामिल हो सकते हैं और एक नया भारत बनाने में मदद के लिए हाथ मिला सकते हैं! इसके साथ ही साथ ही गौरी पर ईसाई और मुस्लिम समुदाय के खिलाफ कथित टिप्पणियां करने का भी आरोप लगाया गया।

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

जस्टिस बीआर गवई ने कहा कि ‘कोर्ट में जज बनने से पहले मेरा भी राजनीतिक जुड़ाव रहा है लेकिन मैं 20 सालों से जज हूं और मेरा राजनीतिक जुड़ाव मेरे काम के आड़े नहीं आया है’। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऐसे कई मामले सामने आए हैं, जिनमें एडिशनल जज को स्थायी जज के तौर पर नियुक्ति नहीं मिली क्योंकि उनकी परफॉर्मेंस अच्छी नहीं थी। जस्टिस संजीव खन्ना ने कहा कि ऐसे भी मामले सामने आए हैं, जहां खास राजनीतिक जुड़ाव वाले लोगों को नियुक्ति मिली है।