सुप्रीम कोर्ट ने एक समाचार लेख को लेकर वेब पोर्टल ‘द वायर’ के संस्थापक संपादक सिद्धार्थ वरदराजन और सलाहकार संपादक करण थापर के खिलाफ असम पुलिस द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के संबंध में शुक्रवार को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ ने फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म (एफआईजे) की याचिका पर आदेश सुनाया। एफआईजे वरदराजन के साथ ‘द वायर’ का स्वामित्व रखता है।

पत्रकारों की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने कहा कि असम पुलिस अदालत के आदेशों की अवहेलना कर रही है। उन्होंने कहा कि मोरीगांव पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में गिरफ्तारी से अंतरिम संरक्षण प्रदान करने के न्यायालय के आदेश के बावजूद गुवाहाटी अपराध शाखा की ओर से दर्ज एक अन्य मामले में पत्रकारों को सम्मन जारी किया गया।

पत्रकारोंं ने गिरफ्तारी की जताई थी आशंका

उन्होंने कहा कि पत्रकारों को मई में दर्ज एक पुरानी प्राथमिकी में बयान दर्ज कराने के लिए शुक्रवार को तलब किया गया है और आशंका है कि उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है। जब वकील ने कहा कि और भी प्राथमिकियां दर्ज की जा सकती हैं और गिरफ्तारी का खतरा है, तो पीठ ने उनकी आशंका को दूर करने की कोशिश करते हुए कहा, “हम देख रहे हैं।”

पीठ ने पत्रकारों को संरक्षण प्रदान करते हुए कहा कि सभी से कानून का पालन करने की अपेक्षा की जाती है। उसने पत्रकारों से जांच में शामिल होने को कहा।

शीर्ष अदालत ने बारह अगस्त को वरदराजन को संरक्षण प्रदान करते हुए ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर एक लेख को लेकर उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी के संबंध में असम पुलिस को उनके खिलाफ कोई भी दंडात्मक कार्रवाई करने से रोक दिया था। नौ मई को, गुवाहाटी अपराध शाखा ने वरदराजन और थापर के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 (भारत की संप्रभुता, एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले कृत्य) के तहत पहली प्राथमिकी दर्ज की।

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प्राथमिकी में भारत की संप्रभुता और अखंडता के विरुद्ध 14 साक्षात्कारों और लेखों को सूचीबद्ध किया गया था। इस प्राथमिकी पर 12 अगस्त तक कोई और कार्रवाई नहीं हुई। गत 11 जुलाई को, मोरीगांव थाने ने वरदराजन और ‘द वायर’ के खिलाफ भारतीय न्याय संहिता की धारा 152 के तहत एक और प्राथमिकी दर्ज की, जो ‘ऑपरेशन सिंदूर’ में भारतीय विमानों की क्षति के बारे में भारतीय रक्षा अताशे के बयान के आधार पर 28 जून को प्रकाशित एक खबर के लिए थी।

शीर्ष अदालत ने मोरीगांव पुलिस स्टेशन की 11 जुलाई की प्राथमिकी में ‘द वायर’ और अन्य को दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान किया। बाद में, अपराध शाखा ने 9 मई को दर्ज की गई पिछली प्राथमिकी के संबंध में पत्रकारों को तलब किया। शीर्ष अदालत ने शुक्रवार को इस मामले में भी पत्रकारों और समाचार पोर्टल को संरक्षण प्रदान किया।

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