उच्चतम न्यायालय ने जम्मू कश्मीर नेश्नल पैंथर्स पार्टी (जेकेएनपीपी) के उन तीन सदस्यों को एक लाख से दो लाख रुपए तक की क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश दिया है जिन्हें वर्ष 2007 में एक प्रदर्शन के दौरान राज्य पुलिस ने पीटा था। न्यायमूर्ति ए के सिकरी और न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल की एक पीठ ने जेकेएनपीपी की महासचिव अनिता ठाकुर को दो लाख रुपए तथा पार्टी के सचिव और एक वरिष्ठ पत्रकार को एक-एक लाख रुपए की क्षतिपूर्ति राशि देने का आदेश दिया। यह पत्रकार पार्टी का सदस्य भी है। पीठ ने यह आदेश देते हुए कहा कि पुलिस की ज्यादती के कारण इन लोगों के मौलिक अधिकारों का हनन हुआ है।

उच्चतम न्यायालय की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि शुरू में प्रदर्शन शांतिपूर्ण था लेकिन बाद में हिंसक हो गया। ‘दूसरी ओर पुलिस कर्मियों ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए लगातार बल प्रयोग किया। इसके लिए उन्होंने लाठीचार्ज किया और तीनों प्रदर्शनकारियों को काबू करने के बाद भी पीटते रहे। इन प्रदर्शनकारियों को इस तरह पकड़ा गया था कि वह चल नहीं पा रहे थे।’ पीठ के अनुसार, तीनों याचिककर्ता पिटाई से घायल हो गए जबकि इस स्थिति को टाला जा सकता था। ऐसा लगता है कि प्रतिवादियों ने अपने अधिकारों का दुरुपयोग किया। पुलिस की ज्यादती की वजह से याचिकाकर्ताओं के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ।

तीनों याचिकाकर्ताओं ने पुलिस को बताया कि उन्होंने अपनी शिकायतें बताने के लिए दिल्ली तक शांतिपूर्ण विरोध रैली की योजना बनाई थी। सात अगस्त 2007 को जब वह कटरा पहुंचे तो जम्मू कश्मीर पुलिस ने उन पर हमला किया। इन लोगों का कहना है कि वह वर्ष 1996 से 1999 के दौरान आतंकवादी हमलों की वजह से अपना घर छोड़ने के लिए मजबूर हुए जम्मू के प्रवासियों की पीड़ा बताना चाहते थे। कटरा में वह प्रशासन को इससे अवगत कराना चाहते थे। शांतिपूर्ण रैली के लिए उनकी अधिकारियों से बात हुई थी।

उन्होंने कहा कि रैली शुरू होने पर करीब 500 पुलिस कर्मियों ने वह पुल रोक दिया जिससे प्रदर्शनकारियों को गुजरना था। इन पुलिस कर्मियों ने प्रदर्शनकारियों को लाठियों से पीटा और आंसूगैस के गोले छोड़े। उन्होंने जब हमला रोकने के लिए कहने को पुलिस से संपर्क किया तो उन्हें पीटा गया।