बिहार को शर्मसार कर देने वाले मुजफ्फरपुर के बालिका गृह दुष्कर्म कांड में सुप्रीम कोर्ट ने अहम आदेश दिया है। सर्वोच्च न्यायालय ने प्रदेश सरकार और बिहार पुलिस की जांच पर असंतोष जताया है। सर्वोच्च न्यायालय ने मुजफ्फरपुर समेत 16 अन्य बालिका गृह और उनके मालिकों के विरुद्ध हो रही जांच को सीबीआई को सौंपने का आदेश दिया है। कोर्ट ने बिहार सरकार की जवाब दाखिल करने के लिए और वक्त देने की मांग को भी ठुकरा दिया। वहीं जब सीबीआई ने अन्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के ही आदेश का हवाला देकर जांच स्वीकारने में असमर्थता जताई तो कोर्ट ने कहा कि सीबीआई निदेशक से पांच मिनट में बात करके हमें बताइए। वैसे बता दें कि मुजफ्फरपुर के बालिका गृह मामले की जांच पहले से सीबीआई के पास है।
Muzaffarpur(Bihar) shelter home case: Supreme Court orders for transferring investigation against all the 17 shelter homes and their owners in the state to CBI. A TISS report had alleged sexual abuse of children. pic.twitter.com/ceYvc23Xb5
— ANI (@ANI) November 28, 2018
हालांकि सीबीआई ने कोर्ट में कहा कि मुजफ्फरपुर मामले में वह आगामी 7 दिसंबर को चार्जशीट दाखिल करेगी। लेकिन सीबीआई के निदेशक फिलहाल अन्य मामले की जांच करने की बात नहीं कह सकते हैं क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने पॉलिसी संबंधी फैसले न लेने के आदेश दिए हैं। इस पर कोर्ट ने जांच एजेंसी से कहा कि किसी मामले में जांच करना नीतिगत फैसलों में नहीं आता है। आप सीबीआई निदेशक से बात करें और पांच मिनट में हमें सूचना दें।
बता दें कि आज (28 नवंबर) को सु्प्रीम कोर्ट ने मुजफ्फरपुर समेत 16 अन्य बालिका गृहों में मासूम बच्चियों के साथ हुए दुष्कर्म के मामले में बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने बिहार पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह अपना काम ठीक से नहीं कर रही है। इसके अलावा कोर्ट ने बिहार सरकार की कोई भी दलील सुनने से इंकार करते हुए कहा कि अब इस मामले की जांच सीबीआई को सौंपना ही उचित है।
कोर्ट में बिहार सरकार के वकील ने गुजारिश करते हुए कहा कि आज आदेश मत जारी कीजिए, हमें सिर्फ एक हफ्ते का वक्त दे दीजिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार ने अपना कर्तव्य उचित ढंग से नहीं निभाया है। इसीलिए आज हमें ये मामला सीबीआई को सौंपना पड़ रहा है। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया है कि जो अधिकारी इस मामले की जांच करेगा, उसका तबादला नहीं किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को निर्देश दिया है कि वह इस मामले में 31 जनवरी तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेगी।
इससे पहले भी मंगलवार (27 नवंबर) को मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले की जांच में लचर रवैये को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार को कड़ी फटकार लगाई थी। मामले की सुनवाई कर रही जस्टिस मदन लोकुर, एस. अब्दुल नजीर और दीपक गुप्ता की बेंच ने हैरानी जताते हुए पुलिसिया रवैये को ‘दुखद’ बताया। सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि राज्य की पुलिस अपना काम ठीक से नहीं कर रही है। अदालत ने यह भी संभावना जताई थी कि मामले की जांच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) को सौंपी जा सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पांच शेल्टर होम से जुड़े मामलों की एफआईआर में गंभीर अपराधों को जगह नहीं दी गई है। जो आरोप लगाए गए हैं, वह कम गंभीर प्रकृति के हैं।
जस्टिस गुप्ता ने कहा, “जब एक भरोसेमंद संस्था कह रही है कि यह यौन शोषण का मामला है, तो इसकी गंभीर जांच की आवश्यकता है।” बिहार सरकार की तरह से शामिल एडवोकेट गोपाल सिंह ने जब कहा कि वह निजी स्तर पर सुनिश्चित करेंगे कि चूक दूर की जाए तो जस्टिस गुप्ता ने कहा, “आप (बिहार सरकार) क्या कर रहे हैं? बच्चे के साथ दुराचार हुआ और आप कहते हैं कि कोई बात नहीं। आप ऐसा कैसे कर सकते हैं? यह अमानवीय है। हमें बताया गया था कि मामले को बेहद गंभीरता से देखा जाएगा, क्या यही गंभीरता है? जितनी बार मैं इस फाइल को पढ़ता हूं, बेहद गुस्सा आता है। यह बेहद दुखद है।”