सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट में इस फैसले की समीक्षा के लिए याचिका दायर की गई। याचिका में खुली कोर्ट में सुनवाई की मांग की गई थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इनकार कर दिया। सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली तीन जजों की बेंच मामले की सुनवाई कर रही है। याचिकाकर्ता ने मंगलवार को खुली कोर्ट में सुनवाई करने की रिक्वेस्ट की लेकिन सीजेआई ने इस पर इंकार कर दिया और कहा कि यह नहीं हो सकता है।

मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि संविधान पीठ की समीक्षा खुली अदालत में नहीं बल्कि चैंबर में सुनी जाती है। वरिष्ठ अधिवक्ता एनके कौल ने समीक्षा याचिका का जिक्र करते हुए अदालत से विशेष विवाह अधिनियम (SMA) 1954, विदेशी विवाह अधिनियम (FMA), 1969 के तहत समलैंगिक और समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग वाली याचिका पर खुली सुनवाई का आग्रह किया था।

सुप्रीम कोर्ट 10 जुलाई को समीक्षा याचिका पर सुनवाई करेगा। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की पीठ याचिका पर सुनवाई करेगी। पीठ में अन्य चार न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, हिमा कोहली, बीवी नागरत्ना और पीएस नरसिम्हा हैं। जस्टिस एसके कौल और एस रवींद्र भट, जो बेंच से रिटायर हो चुके हैं, उनकी जगह जस्टिस संजीव खन्ना और बीवी नागरत्ना ने ले ली है।

सुप्रीम कोर्ट में कई समीक्षा याचिकाएं दायर की गई हैं, जिसमें सुप्रीम कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई है। समीक्षा याचिकाओं में से एक वकील करुणा नंदी और रुचिरा गोयल के माध्यम से दायर की गई है, जिसमें कोर्ट द्वारा पारित 17 अक्टूबर, 2023 के बहुमत के फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई थी।

सुप्रीम कोर्ट ने 17 अक्टूबर, 2023 को चार अलग-अलग फैसले सुनाए थे। बहुमत का फैसला न्यायमूर्ति एसआर भट्ट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा द्वारा दिया गया था। भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एसके कौल ने अल्पमत फैसला सुनाया था।