यूपी गैंगस्टर एक्ट के तहत जेल में बंद सुभासपा विधायक अब्बास अंसारी को सुप्रीम कोर्ट ने शर्तों के साथ अंतरिम जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को उनके लखनऊ स्थित सरकारी आवास में रहने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को यह भी निर्देश दिया है कि उन्हें अपनी विधानसभा में जाने से पहले जिला प्रशासन और ट्रायल कोर्ट से इजाजत लेनी होगी।
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने अब्बास अंसारी को ट्रायल कोर्ट की इजाजत के बिना यूपी न छोड़ने के निर्देश दिए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि अब्बास अंसारी को कोर्ट में चल रहे मामलों को लेकर कोई सार्वजनिक बयान नहीं देना चाहिए। हालांकि, कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इन मामलों में खुद का बचाव करने का अंसारी का अधिकार अप्रभावित रहना चाहिए।
न्यूज एजेंसी भाषा द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस एन कोटिश्वर सिंह की बेंच ने मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी से कहा कि वह कोर्ट की पूर्व अनुमति के बिना उत्तर प्रदेश न छोड़ें और अदालतों में पेश होने से एक दिन पहले पुलिस अधिकारियों को सूचित करें। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस से अंसारी से संबंधित जमानत शर्तों के अनुपालन पर छह सप्ताह में स्थिति रिपोर्ट देने को कहा।
अब्बास अंसारी को कब गिरफ्तार किया गया था?
अब्बास अंसारी को अन्य आपराधिक मामले में 4 नवंबर 2022 को हिरासत में लिया गया था, लेकिन 6 सितंबर 2024 को गैंगस्टर एक्ट के तहत गिरफ्तार किया गया। बेंच ने कहा कि उन्हें गैंगस्टर एक्ट के मामले को छोड़कर सभी आपराधिक मामलों में जमानत दी गई है।
पिछले साल 18 दिसंबर को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले में अब्बास अंसारी की जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अब्बास अंसारी, नवनीत सचान, नियाज अंसारी, फराज खान और शाहबाज आलम खान के खिलाफ उप्र गैंगस्टर और असामाजिक गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1986 की धारा 2, 3 के तहत चित्रकूट जिले के कोतवाली कर्वी थाने में 31 अगस्त, 2024 को प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उन पर जबरन वसूली और मारपीट का आरोप था।
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