असम में बहुप्रतीक्षित नैशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) की अंतिम सूची शनिवार को ऑनलाइन जारी कर दी गई। इसमें करीब 19.07 लाख आवेदकों को बाहर रखा गया है। एनआरसी के स्टेट कॉर्डिनेटर प्रतीक हजेला के दफ्तर ने एक बयान में कहा कि एनआरसी की अंतिम सूची में 3.11 करोड़ लोगों को शामिल किया गया है।

सुबह 10 बजे अंतिम सूची प्रकाशित की गई। शामिल किए गए लोगों की पूरक सूची एनआरसी सेवा केंद्रों (एनएसके), उपायुक्त के कार्यालयों और क्षेत्राधिकारियों के कार्यालयों में उपलब्ध है, जिसे लोग कामकाजी घंटों के दौरान देख सकते हैं। एनआरसी लिस्ट से जुड़े इस छह साल पुराने ऐतिहासिक प्रोजेक्ट को पूरा करवाने की जिम्मेदारी 50 वर्षीय प्रतीक हजेला पर थी। प्रतीक 1995 बैच के असम-मेघालय कैडर के आईएएस हैं।

How to check name in NRC Final List

हालांकि, बीते साल सुप्रीम कोर्ट ने एनआरसी तैयार करने की प्रक्रिया की मॉनिटरिंग कर रहे प्रतीक पर मीडिया से इस बारे में बातचीत करने पर रोक लगा दी थी। भोपाल में जन्मे प्रतीक शहर के एक नामी परिवार से ताल्लुक रखते हैं। उनके पिता एमपी सरकार में सेवाएं दे चुके हैं।

प्रतीक के भाई डॉक्टर हैं जबकि चाचा पीडी हजेला इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और सागर यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर रह चुके हैं। भोपाल से शुरुआती शिक्षा लेने के बाद प्रतीक ने आईआईटी दिल्ली से इलेट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग में स्नातक किया। वह शादीशुदा हैं उनकी एक 8 साल की बेटी आरजू है। आरजू की तस्वीरें और वीडियो प्रतीक अपने फेसबुक वॉल पर शेयर करते रहते हैं।

जुलाई 1996 में प्रतीक असम के सिलचर में असिस्टेंट कमिश्नर बनकर पहुंचे। इसी जगह पिछले साल अक्टूबर में दुर्गा पूजा के दौरान एक एनजीओ ने हजेला का एक विशालकाय बैनर लगवाकर उन्हें राक्षस के तौर पर दिखाया, जिसका देवी संहार करते हुए दिखती हैं। बैनर के साथ एक कविता भी लिखी थी, जिसमें कहा गया था की हजेला ने अपनी कलम के जरिए लोगों की चिंताएं बढ़ा दीं।

सितंबर 2013 में प्रतीक हजेला असम की तत्कालीन कांग्रेस सरकार के अंतर्गत कमिनश्चर बनाए गए। इसके बाद, उन्होंने एनआरसी अपडेशन प्रक्रिया के स्टेट कॉर्डिनेटर की जिम्मेदारी संभाली। पूर्व सीएम तरुण गोगोई ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि हजेला की नियुक्ति इसलिए की गई क्योंकि उन्हें विषय की समुचित जानकारी थी। गोगोई के मुताबिक, उस वक्त वह एक सक्षम ब्यूरोक्रैट थे और उनके खिलाफ कोई नकारात्मक रिपोर्ट सामने नहीं आई थी।

सूत्रों के मुताबिक, एनआरसी के स्टेट कॉर्डिनेटर की जिम्मेदारी संभालने के 6 महीने के बाद ही उन्होंने अकेले ही इस प्रक्रिया को पूरी करने की रुपरेखा तैयार की और अगस्त 2014 में 10 से 12 लोगों की कोर टीम बनाई। हजेला से जुड़ा एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि उन्हें खुद भी जब एनआरसी के लिए आवेदन किया तो 31 दिसंबर 2017 को प्रकाशित पहले ड्राफ्ट में उनका और उनकी बेटी का नाम शामिल नहीं था। इसके बाद मई 2018 में वह गुवाहाटी में मीडिया की चमक दमक के बीच इस मामले की सुनवाई के लिए ट्रिब्यूनल में पहुंचे। फाइनल ड्राफ्ट में उनका नाम शामिल कर लिया गया।

30 जुलाई 2018 को खचाखच भरे गुवाहाटी स्थित एनआरसी ऑफिस में हजेला और रजिस्ट्रार जनरल ऑफ इंडिया ने ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की और फाइनल ड्राफ्ट जारी किया। इसमें 40 लाख आवेदकों के नाम शामिल नहीं थे। इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों को मीडिया से बातचीत करने के लिए कड़ी फटकार लगाई और जेल में डालने की भी धमकी दी।