सुप्रीम कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर पिछले महीने एक अपडेट के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा 33 न्यायाधीशों में से 27 ने भारत के CJI डीवाई चंद्रचूड़ को अपनी संपत्ति और देनदारियों की घोषणा की है। हालांकि, उनके नाम जारी कर दिए गए हैं लेकिन उनकी संपत्ति की घोषणा अनुपस्थित है।
दरअसल, एक साल पहले ही संसद की कार्मिक, लोक शिकायत और कानून और न्याय समिति द्वारा सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के न्यायाधीशों की संपत्ति और देनदारियों की अनिवार्य घोषणा के लिए कानून की सिफारिश की गयी थी।
गौरतलब है कि कुछ महीने पहले तक सुप्रीम कोर्ट के 55 पूर्व न्यायाधीशों की घोषणाएं सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध थीं, लेकिन वर्तमान न्यायाधीशों की नहीं। वे घोषणाएँ अब गायब हैं।
संपर्क करने पर, सुप्रीम कोर्ट के एक अधिकारी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वेबसाइट पर बदलाव 7 अगस्त को किया गया था। अधिकारी ने कहा, “जिन्होंने पद छोड़ दिया है, उनके रिकॉर्ड हटा दिए गए हैं। इसके अलावा, जब कोई न्यायाधीश पद की शपथ लेता है तो संपत्ति की घोषणा की जाती है और रिकॉर्ड सुप्रीम कोर्ट कार्यालय द्वारा बनाए रखा जाता है। हालाँकि, पब्लिक डिक्लेरेशन पूरी तरह से अपनी इच्छा पर है।”
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर संपत्ति की घोषणा स्वैच्छिक
सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के अनुसार, “भारत के सर्वोच्च न्यायालय की अदालत में फैसला किया था कि न्यायाधीशों को पद संभालने पर और जब भी कोई महत्वपूर्ण प्रकृति का अधिग्रहण किया जाता है तो मुख्य न्यायाधीश को अपनी संपत्ति की घोषणा करनी चाहिए। इसमें भारत के मुख्य न्यायाधीश की घोषणा भी शामिल है। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर संपत्ति की घोषणा स्वैच्छिक आधार पर होगी।
इन जजों ने घोषित की है अपनी संपत्ति
वेबसाइट के अनुसार जिन न्यायाधीशों ने अपनी संपत्ति घोषित की है उनके नाम हैं, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस सूर्यकांत, जस्टिस हृषिकेश रॉय, जस्टिस अभय एस ओका, जस्टिस विक्रम नाथ, जस्टिस जे के माहेश्वरी, जस्टिस बी वी नागरत्ना, जस्टिस एम. एम. सुंदरेश, जस्टिस बेला एम. त्रिवेदी, जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा, जस्टिस सुधांशु धूलिया, जस्टिस जे.बी. पारदीवाला, जस्टिस दीपांकर दत्ता, जस्टिस पंकज मिथल, जस्टिस संजय करोल, जस्टिस संजय कुमार, जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह, जस्टिस मनोज मिश्रा, जस्टिस अरविंद कुमार, जस्टिस के.वी. विश्वनाथन, जस्टिस उज्ज्वल भुइयां, जस्टिस एस वेंकटनारायण भट्टी, जस्टिस ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह, जस्टिस संदीप मेहता और जस्टिस प्रसन्ना भालचंद्र वरले।
पिछले साल 28 अगस्त को, द इंडियन एक्सप्रेस ने सूचना का अधिकार अधिनियम (RTI) के तहत एक आवेदन दायर किया था जिसमें उन न्यायाधीशों का विवरण मांगा गया था जिन्होंने 2022-2024 में अपनी संपत्ति घोषित नहीं की है।
सुप्रीम कोर्ट के केंद्रीय लोक सूचना अधिकारी ने जवाब दिया कि मांगी गई जानकारी को आरटीआई अधिनियम के तहत छूट दी गई है। इसके खिलाफ दायर अपील पर प्रथम अपीलीय प्राधिकारी ने कहा, “सीपीआईओ द्वारा भेजा गया जवाब उचित है और इसमें किसी और अतिरिक्त या अधिक विस्तार की आवश्यकता नहीं है।”
मार्च 2018 के बाद बंद हो गया जजों की संपत्ति वेबसाइट पर पोस्ट करने का चलन
8 सितंबर, 2009 को सुप्रीम कोर्ट की पूर्ण पीठ ने 31 अक्टूबर, 2009 को या उससे पहले अदालत की वेबसाइट पर अपनी संपत्ति घोषित करने का संकल्प लिया था और कहा था कि यह विशुद्ध रूप से स्वैच्छिक आधार पर था। इससे पहले जजों की संपत्ति वेबसाइट पर पोस्ट की जाती थी लेकिन 31 मार्च 2018 के बाद यह चलन बंद हो गया।
पिछले साल 11 दिसंबर को बीजेपी सांसद और कानून पर संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष स्वर्गीय सुशील कुमार मोदी ने कहा था कि सांसदों, विधायकों और अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों की तरह सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों को भी अनिवार्य रूप से अपनी संपत्ति की जानकारी देनी होगी।
13 नवंबर, 2019 को न्यायमूर्ति रंजन गोगोई (पीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति एनवी रमना, डीवाई चंद्रचूड़, दीपक गुप्ता और संजीव खन्ना शामिल थे) की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने फैसला सुनाया था कि भारत के मुख्य न्यायाधीश का कार्यालय आरटीआई अधिनियम के तहत एक सार्वजनिक कार्यालय है। साथ ही पीठ ने कहा, “सूचना के अधिकार को न्यायपालिका के प्रभावी कामकाज को बाधित करने के लिए निगरानी के एक उपकरण के रूप में उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।”