सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार (1 फरवरी, 2020) को हाईकोर्ट में जजों की अल्पकालिक नियुक्ति पर अपने विचार साझा किए। इसमें उन्होंने सुझाव दिया कि वकील हाईकोर्ट में एक विशिष्ट अवधि के लिए आ सकते हैं और दोबारा अपनी प्रेक्टिस पर लौट सकते हैं। इसी कार्यक्रम में सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस एकके सीकरी ने कहा कि जजों की नियुक्ति की कॉलेजियम प्रणाली को ‘पुनर्विचार की जरुरत है।’ इसके साथ ही उन्होंने कहा कि ‘भारत एकमात्र देश है जहां जज ही जजों की नियुक्ति करते हैं।’ बता दें कि जस्टिस चंद्रचूड़ और रिटायर्ड जस्टिस सीकरी मशहूर लेखर चिंतन चंद्रचूड़ की किताब ‘The Cases That India Forgot’ के लॉन्च के मौके पर चर्चा के दौरान बोल रहे थे। चिंतन चंद्रचूड़ जस्टिस चंद्रचूड़ के पुत्र हैं।
किताब लॉन्च कार्यक्रम में बोलते हुए जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, ‘हम हमेशा मजाक करते हैं कि एक जज… अपनी पूरी जिदंगी में जज ही रहता है। मुझे लगता है कि हमें आउट ऑफ द बॉक्स सोचने की जरुरत है। हम ज्यूडिशरी में ऐसा क्यों नहीं ला सकते जो कम अवधि के लिए आएंगे और वापस चले जाएंगे। अब आप सरकार में ऐसा कर रहे हैं। आपके पास सरकार में बहुत सीनियर लेवर पर लैटरल एंट्री है। हमें यह क्यों मानना है कि जब हम 25 साल की उम्र में किसी जज को जिला जज के रूप में भर्ती करते हैं, तो वह व्यक्ति 62 या 65 तक ही रहेगा?’ उन्होंने कहा कि उदाहरण के लिए, हम पांच साल के लिए हाईकोर्ट में वकील जज बनाए जाने के बारे में क्यों नहीं सोचते?’