मुंबई में 1993 के बम विस्फोटों के दोषी याकूब मेमन की फांसी के खिलाफ अंतिम अपील नामंजूर करने वाले सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों में से एक न्यायमूर्ति दीपक मिश्र को जान से मारने की धमकी मिली है। इसके बाद उनकी सुरक्षा कड़ी कर दी गई है। दिल्ली पुलिस ने इस सिलसिले में मामला दर्ज कर लिया है।
बुधवार को तुगलक रोड स्थित जज के आवास के पीछे की तरफ के प्रवेश द्वार के निकट धमकी भरा पत्र बरामद किया गया था। पुलिस का कहना है कि न्यायमूर्ति मिश्र को जो धमकी दी गई है, वह काफी गंभीर है। पुलिस ने इस संभावना से इनकार किया कि अनाम पत्र भेजकर किसी ने शायद मजाक किया है। पुलिस ने बताया कि न्यायमूर्ति के निजी सुरक्षा अधिकारी सुरक्षा जांच कर रहे थे, उस समय यह पत्र बरामद हुआ। इसके वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों को तत्काल सूचित किया गया। विशेष आयुक्त (कानून व्यवस्था) दीपक मिश्र उनके आवास पर गए और सुरक्षा व्यवस्था का मुआयना किया।
समझा जाता है कि जिन लोगों ने धमकी भरा पत्र भेजा है, उन्होंने न्यायमूर्ति मिश्र के आवास की ‘रेकी’ की होगी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि संदिग्धों को पता था कि सुरक्षाकर्मी न्यायमूर्ति मिश्र के आवास के बाहर तैनात हैं और सीसीटीवी कैमरे उनके कार्यालय के बाहर लगे हैं। उन्हें पता था कि मिश्र के आवास के पीछे की तरफ के प्रवेश द्वार के निकट घने पेड़ हैं और यदि कोई परिसर में पत्र भेजे तो सीसीटीवी में तस्वीर नहीं आएगी।
दिल्ली पुलिस के अलावा केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों को भी न्यायमूर्ति मिश्र के आवास पर तैनात किया गया है। न्यायमूर्ति मिश्र के आवास पर सुरक्षा कवर बढ़ा दिया गया है। समूचे नई दिल्ली क्षेत्र में आतंकवाद रोधी सुरक्षा ‘ड्रिल’ भी की गई है। पुलिस के मुताबिक मेमन को 30 जुलाई की तड़के फांसी दिए जाने के तुरंत बाद न्यायमूर्ति मिश्र और उनके दो सहयोगी जजों की सुरक्षा बढ़ा दी गई थी। तीनों जजों ने फांसी रुकवाने के लिए अंतिम समय में की गई मेमन की अपील को नामंजूर कर दिया था। तब मध्यरात्रि में अप्रत्याशित रूप से शीर्ष अदालत की सुनवाई चली थी। मेमन को 2007 में दोषी करार दिया गया था। मुंबई बम विस्फोटों में 257 लोगों की मौत हो गई थी।