सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार (23 अक्टूबर) को देश भर में पटाखों की बिक्री पर प्रतिबंध लगाने से इंकार कर दिया। लेकिन कोर्ट ने ये भी कहा कि कुछ सुरक्षा उपायों को अपनाने से संतुलन बनाने में मदद मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एके सीकरी की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा,”उन्नत और इको फ्रेंडली” पटाखे सिर्फ लाइसेंसधारकों के द्वारा ही बनाए और बेचे जा सकते हैं।
कोर्ट ने ई—कॉमर्स कंपनियों जैसे अमेजन और फ्लिपकार्ट पर पटाखों की बिक्री पर पूरी तरह से रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह भी कहा है कि पटाखों से होने वाला शोर निर्धारित ध्वनि मानकों से ज्यादा न हो। कोर्ट ने पटाखा निर्माण में काम आने वाले कुछ रसायनों जैसे बैरियम सॉल्ट के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है। इसके अलावा पटाखों की लड़ी जलाना भी प्रतिबंधित किया गया है।
कोर्ट ने साफ किया है कि त्योहारों जैसे दीवाली पर पटाखे फोड़ने की अनुमति सिर्फ रात में 8 से 10 बजे के बीच ही होगी। बेंच ने कहा कि क्रिसमस और नए साल की रात में पटाखे 23.45 बजे से लेकर 00.45 बजे तक ही चलाए जा सकते हैं। जस्टिस सीकरी ने कहा,” हम साफ कर देना चाहते हैं कि हम सिर्फ दीवाली के लिए ही प्रतिबद्ध नहीं हैं। चाहें गुरुपर्ब हो या क्रिसमस, हमारा आदेश सभी के लिए समान रूप से काम करेगा।”
जज ने कहा कि ये फैसला मुख्य रूप से केंद्र सरकार के द्वारा प्रस्तावित किए गए दिशानिर्देशों को संतुलित रूप से लागू करवाने के लिए है। कोर्ट ने यह भी कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों को तय स्थान पर सामुदायिक रूप से पटाखे जलाने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
कोर्ट ने कहा कि ये संबंधित पुलिस थानों के थानाध्यक्षों का कर्तव्य है कि वह उनके आदेशों का पूर्ण अनुपालन सुनिश्चित करवाएं और जो भी इस आदेश की अवहेलना करते हैं उन्हें न्यायालय के आदेश की अवहेलना का आरोपी माना जाए। बेंच ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी आदेश दिया कि वह पटाखों के असर पर अध्ययन करे और समय—समय पर उसकी रिपोर्ट दाखिल करे।