Supreme Court Hearing On Waqf Law: वक्फ कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में आज बुधवार को अहम सुनवाई होनी है। इस सुनवाई के दौरान सर्वोच्च अदालत कुल 10 याचिकाओं पर बहस करने वाला है। अब अगर दूसरे धार्मिक संगठनों को भी जोड़ दिया जाए तो याचिकाओं का कुल आंकड़ा तो 70 बैठता है, लेकिन सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अभी 10 याचिकाओं को लिस्ट किया है। बड़ी बात ये है कि चार एनडीए शासित राज्यों ने वक्फ के समर्थन में भी अपनी दलीलें दी हैं। यहां समझते हैं कि पूरा विवाद है, मांग क्या है और आखिर संविधान क्या कहता है-

वक्फ कानून को लेकर विवाद क्या है?

संसद से चार अप्रैल को वक्फ संशोधन बिल पारित हो गया था और फिर अगले ही दिन पांच अप्रैल को राष्ट्रपति ने उसे मंजूरी दे दी, यानी कि उसने कानून का रूप लिया। उसके बाद से ही देश में एक बड़े वर्ग ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया, दावा किया गया कि मुस्लिम समाज के अधिकारों का हनन हो रहा है। इसी कड़ी में सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया गया।

AIMIM सांसद असदुद्दीन ओवैसी, दिल्ली के आम आदमी पार्टी विधायक अमानतुल्लाह खान, एसोसिएशन फॉर प्रेटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स, जमीयत उलेमा-ए-हिंद के अध्यक्ष अरशद मदनी, ऑल केरल जमीयतुल उलेमा, अंजुम कादरी, तैय्यब खान सलमानी, मोहम्मद शफी, मोहम्मद फजलुर्रहीम और राजद सांसद मनोज कुमार झा ने अपनी याचिकाओं के जरिए इस कानून का विरोध किया।

वक्फ कानून के विरोध का आधार क्या है?

विरोध का सबसे बड़ा आधार यह है कि मुस्लिम संगठनों को लग रहा है कि इस नए कानून की वजह से सरकारी हस्तक्षेप बढ़ जाएगा। मुस्लिम समाज में कुछ लोगों का मानना है कि अब सरकार तय करेगी कि आखिर कौन सी प्रॉपर्टी वक्फ है और कौन सी नहीं। इसके ऊपर सरकार द्वारा लाए गए कानून का सेक्शन 40 कहता है कि वक्फ बोर्ड इस बात का फैसला लेगा कि किसी जमीन को वक्फ का माना जाए या नहीं। अब यहां पर विवाद इस बात को लेकर है कि अब यह फैसला लेने की ताकत किसी वक्फ ट्रिब्यूनल के पास ना होकर डिस्ट्रिक्ट कलेक्टर के पास होगी।

वक्फ कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?

वक्फ जमीनों को लेकर जो पुराना कानून था, वो कहता था अगर कोई जमीन लंबे समय से वक्फ द्वारा ही इस्तेमाल की जा रही है तो उसे वक्फ का माना जा सकता है। तब अगर जरूरी कागजात नहीं भी होते थे, तब भी उस जमीन को वक्फ का मान लिया जाता था। लेकिन अब जब यह कानून आ गया है, इसमें इस शब्द को ही हटा दिया गया है। इससे होगा यह कि अगर कोई प्रॉपर्टी वक्फ की नहीं है तो उसे संदिग्ध माना जाएगा, यह तर्क नहीं दिया जा सकेगा कि क्योंकि पहले से ही इस प्रॉपर्टी पर वक्फ काम कर रहा था, तो इस पर अधिकार भी उनका ही रहेगा।

क्या होता है वक्फ का मतलब?

क्या संसद से पारित कानून को चुनौती दी जा सकती है?

हां, संसद से पारित कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है। सिर्फ इतना साबित करना होगा कि जो कानून लाया गया है, वो संविधान की नींव को कमजोर करता है, वो कानून किसी के अधिकारों का हनन करता है। अगर ये सारी बातें वक्फ मामले में साबित हो जाती हैं, उस स्थिति में सुप्रीम कोर्ट रोक लगा सकता है।

असल में विपक्ष की याचिका का आधार संविधान का अनुच्छेद 32 है। ऐसा भी इसलिए क्योंकि अनुच्छेद 32 कहता है कि अगर किसी नागरिक के मौलिक अधिकारों का हनन होगा, उस स्थिति में वो सुप्रीम कोर्ट का रुख कर सकता है, वो वहां से राहत पा सकता है। अनुच्छेद 32 ही सुप्रीम कोर्ट को ताकत देता है कि वो किसी के मौलिक अधिकार की रक्षा करने के लिए आदेश जारी करे, निर्देश दे।

वैसे सरल शब्दों में ये भी जान लीजिए कि मुस्लिम समाज की पांच बड़ी आपत्तियां क्या हैं, इससे सुप्रीम कोर्ट का आदेश समझने में भी आसानी रहेगी।