उच्चतम न्यायालय ने देशभर में सड़कों और फुटपाथों पर अनधिकृत पूजा स्थलों की मौजूदगी पर अधिकारियों की निष्क्रियता पर नाराजगी जताते हुए मंगलवार (19 अप्रैल) को कहा कि ‘यह भगवान का अपमान है।’ न्यायमूर्ति वी गोपाल गौड़ा और न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की पीठ ने कहा, ‘‘आपको इस तरह के ढांचों को गिराना होगा। हमें पता है कि आप कुछ नहीं कर रहे। कोई भी राज्य कुछ नहीं कर रहा। आपको इसकी अनुमति देने का कोई अधिकार नहीं है। भगवान कभी रास्ते में अड़चन नहीं डालना चाहते। लेकिन आप रास्ता रोक रहे हैं। यह भगवान का अपमान है।’’
पीठ की ओर से ये टिप्पणी उस समय आईं, जब उन्होंने सार्वजनिक सड़कों और फुटपाथों पर अवैध धार्मिक ढांचों को हटाने की दिशा में उठाए गए कदमों की जानकारी देते हुए हलफनामे दायर करने के पीठ के निर्देश का पालन नहीं करने पर राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों की खिंचाई की।
शीर्ष अदालत ने उन्हें एक अंतिम मौका देते हुए दो सप्ताह के भीतर हलफनामा दायर करने के निर्देश दिये। ऐसा करने में विफल रहने पर संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों को साल 2006 से समय-समय पर उच्चतम न्यायालय के विभिन्न निर्देशों के पालन नहीं करने के बारे में व्यक्तिगत रूप से पेश होकर बताना होगा।
पीठ ने कहा, ‘‘हम इस तरह के रवैये को पसंद नहीं करते।’’ पीठ ने कहा, ‘‘अगर राज्य के प्रशासकों और मुख्य सचिवों का यही रवैया है तो हम आदेश क्यों पारित करते हैं? क्या हम आदेश ठंडे बस्ते में डालने के लिए देते हैं? अगर आप अदालत के आदेशों के प्रति सम्मान नहीं रखते तो हम राज्यों से निपटेंगे।’’
पीठ पहली बार में मुख्य सचिवों को समन करने वाला आदेश पारित करने वाली थी लेकिन विभिन्न राज्यों की ओर से कुछ वकीलों द्वारा याचिका दाखिल किये जाने के बाद उसने इसमें बदलाव कर दिया।
उच्चतम न्यायालय वर्ष 2006 में दायर याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें पहले ही राज्यों को ये निर्देश जारी कर दिये गये थे कि वे सड़कों और सार्वजनिक स्थानों से पूजास्थलों समेत अनाधिकृत ढांचों को हटाएं। आठ मार्च को न्यायालय को छत्तीसगढ़ सरकार के खिलाफ एक अवमानना याचिका मिली। इसके बाद न्यायालय ने राज्य से कहा कि वह अवमानना याचिका में लगाए गए आरोपों के आधार पर तथ्यात्मक स्थिति स्पष्ट करे।
शीर्ष अदालत ने सभी अन्य राज्यों के वकीलों को भी निर्देश दिये कि वे इस संदर्भ में समय समय पर पारित किये गये अंतरिम आदेशों के पालन के संदर्भ में जरूरी निर्देश लें। पीठ ने अपने आदेश में कहा कि आठ मार्च के आदेश के बावजूद किसी राज्य ने हलफनामा दाखिल नहीं किया।
पीठ ने एक राज्य की ओर से पेश हुए वकील से कहा, ‘‘आपके राज्य का क्या सर्वेक्षण है? वहां कितने मंदिर, मस्जिद, चर्च और अन्य (अवैध पूजा स्थल) हैं।’’ शुरू में पीठ ने कहा कि अगर राज्य निर्देशों का पालन नहीं करते तो मुख्य सचिवों के खिलाफ अवमानना कार्रवाई शुरू की जाएगी।