Shahi Idgah-Krishna Janmabhoomi Case: देश की सर्वोच्च अदालत ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह केस में इलाहाबाद हाई कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले को बरकरार रखा है। इलाहाबादा हाई कोर्ट ने इस केस में हिंदू पक्ष की याचिकाओं को लेकर ASI और केंद्र सरकार को भी पक्षकर बना दिया था। इस फैसले के खिलाफ दायर याचिकाओं को खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाई कोर्ट के फैसले में कोई त्रुटि नहीं है।
चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली दो जजों की पीठ में दूसरे जज जस्टिस संजय कमार थे। पीठ ने इस मामले में अहम फैसला सुनाया है। सीजेआई खन्ना ने कहा कि कि एक बात स्पष्ट है कि हिंदू वादियों द्वारा मूल शिकायत में संशोधन की अनुमति दी जानी चाहिए।
मस्जिद कमेटी की अपील पर हुई सुनवाई
सीजेआई की अध्यक्षता वाली इस पीठ ने 5 मार्च, 2025 के इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ मस्जिद समिति की अपील पर सुनवाई की थी। इस अपील में हिंदू पक्ष को अपनी याचिका में संशोधन करने और मामले में केंद्र और एएसआई को पक्षकार बनाने की अनुमति दी गई थी।
वहीं हिंदू पक्ष ने एएसआई को पक्षकार बनाने की मांग करते हुए कहा था कि मस्जिद एजेंसी के अधीन है और इसलिए उसे पूजा स्थल अधिनियम 1991 के आवेदन से छूट है, जिसके तहत पूजा स्थल के धार्मिक चरित्र को 15 अगस्त, 1947 की तरह संरक्षित करने की आवश्यकता होती है।
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हाई कोर्ट को है केस में पक्षकार जोड़ने का अधिकार
4 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट ने हिंदू याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी किया। सोमवार को फिर से याचिका पर सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा कि यह याचिका बिल्कुल गलत है। हाईकोर्ट को मुकदमे में पक्षकारों को जोड़ने के लिए संशोधन की अनुमति देनी चाहिए थी। अदालत ने कहा कि वह यह भी आकलन करेगी कि यह आदेश प्रभावी है या नहीं और इसका मस्जिद पक्ष पर क्या प्रभाव पड़ेगा जो शिकायत को खारिज करने की मांग कर रहा है।
इस मामले में मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि यह भी मुद्दा है कि क्या हिंदू वादियों द्वारा दायर मुकदमे पर रोक है और क्या उच्च न्यायालय को इस पर विचार करने का अधिकार है। सुप्रीम कोर्ट के एक सवाल पर मस्जिद कमेटी के वकील ने कहा कि संशोधन याचिका पर अभी लिखित बयान दाखिल करना बाकी है। कोर्ट ने निर्देश दिया कि लिखित बयान भी दाखिल किया जा सकता है।
