सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया जिसमें वायुसेना के विमान मिराज के बेंगलुरू में दुर्घटनाग्रस्त होने की न्यायिक जांच कराने की मांग की गई थी। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने याचिका खारिज करते हुये कहा कि इस तरह की दुर्घटनाओं की न्यायिक जांच नहीं हो सकती।
पीठ ने कहा, ‘‘सुप्रीम कोर्ट लड़ाकू विमानों के दुर्घटनाग्रस्त होने की घटनाओं की न्यायिक जांच नहीं कर सकता।’’ पीठ ने याचिकाकर्ता एडवोकेट अलख आलोक श्रीवास्तव से सवाल किया, ‘‘ये मिराज विमान किस पीढ़ी के थे?’’ लेकिन जब श्रीवास्तव ने हिचकिताते हुए कहा, “चौथी पीढ़ी…” तब मुख्य न्यायाधीश ने कहा, “आपको तथ्यों की जानकारी नहीं है और आप न्यायिक जांच चाहते हैं? यह तीसरी पीढ़ी का विमान है। यह दुर्घटनाग्रस्त होगा ही! हम अभी 6वीं पीढ़ी के दौर में हैं।” सुप्रीम कोर्ट ने एडवोकेट श्रीवास्तव को फटकार लगाते हुए कहा, “यह बर्दाश्त की हद है। दुर्घटना (विमान) में अब सुप्रीम कोर्ट जांच के आदेश देगा? आप भाग्यशाली हैं कि आपसे खर्चा नहीं वसूल रहे हैं क्योंकि आप एक वकील हैं।”
गौरतलब है कि याचिका में केन्द्र को यह सुनिश्चित करने के लिये निर्देश देने का अनुरोध किया गया था कि इस तरह की विमान दुर्घटनायें भविष्य में नहीं हों। याचिका में मीडिया रिपोर्ट का हवाला दिया गया था जिसमें कहा गया था 2015-16 से भारतीय वायु सेना के 35 विमान और हेलीकाप्टर दुर्घटनाग्रस्त हुये हैं और इनमें 45 जानें गयी हैं।

